शब्दों की लड़ी ....
0.0(7)
awesome
बहुत सुंदर पुस्तक है आपकी
nice
very nice
sundar
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30 किताबें
हो गए हम जुदाहो गए हम फना मिलते मिलते हम रह गए ना जाने कैसे कब हम बिछड़ गएखो जाना था हमें एक दूसरे के प्यार में लेकिन ना जाने खो गए हम कहां✍🏻 रिया सिंह सिकरवा " अनामिका " ( बिहार )
मुनासिब है सबका ...मुनासिब है सबका यूं मुझसे रूठ जाना ...औकात तो पता चल जाती है अपनी ...बेशक सही है दिल का टूट जाना ... 2आदत तो बदल जाती है अपनी ...जाहिर है . . .जाहिर है सब साथ छोड़ देंगे मेरा एक दिन
चली चली मैं कही दूर चलीबाबूल की गलीयों से मै दूर चलीबचपन का वो खेल खिलौनाछोड़ के सब मै दूर चली कैसी ये दस्तूर है अपने को पराया बना गैरों को अपना बनाने चलीरिया सिंह सिकरवार " अनामिका " (
बारिश के बूंदो को ,हमने बरसते देखा -2🌧️धरती पे आके उसको , हमने दफन होते देखा है ।घमण्ड मत करो ऐ अमीरो ! - 2क्योंकि हमनें अमीरों को भी , गरीब होते देखा है ।♥️💞💖💝💟💌💓🌹😘🤗♥️💞💖💝💌✍🏻 रिया सिंह
हम है आपके , आप हो हमारे ... हम दोनों है एक दूसरे के लिए ही बने ... दुनियाँ से अब हमें ना डरना है ... खुल कर खुशियों को जीना है ... चलेंगे हम कही दुनियाँ से दूर ... जहाँ प्यार का ही सिर्फ बसेरा हो .
कुछ लोग है यहाँ मतलब के यार ।मतलब हुई खत्म , हो गयी यारी भी खत्म ।जैसे हो गयी यारी की, कहानी ही ख़त्म ।उसके लिए तो हुई कहानी खत्म ,पर मेरे लिए तो हुई दुनियाँ ही खत्म ।भले ही वो था हमें
रंगों से भरी ज़िंदगी ...कभी खुशी के संग हो जाती है रंगीन जिंदगी..कभी दुखी होने सेलगने लगती है रंगहीन जिंदगी . .कभी ख़ुशी कभी गम"जिंदगी" कट जाती है इसी के संग . . .कभी हंसाना , कभी रुल
बांध कफन अपने सर पे ...निकले थे वीर तिरंगा को बचाने ...🇮🇳अपने प्राणों की आहुति दे ...तब वो दुश्मनों को भगा दिये ...सालों से लगी बेड़ियों को तोड़ ...भारत माँ को स्वतंत्र किये ...करती हूं मै उनक
💓❣️💖❤️💕😍🎊🎊🌹🌹💖❤️💕❣️💘ये कहानी मेरी यानी की रिया और लब्या दी की है😊जो कि उनके Name और मेरे surname पे है😜 ।हैरान होंगे आप लोग कि Name और surname पे कोई कहानी कैसे लिख सकता है ।🤔😀लेकिन ये ए
हमारे देश को आजाद हुए 75 साल हो गए । इसको आजाद करने के जाने कितने वीर शहीद हुए , कितने माँ बाप की गोद सुनी होई , कितनी बहनों की राखी जली , कितनी पत्नियों की मांग से सिंदूर मिटे और जाने कितने बच्चे पित
दोस्ती है एक अनमोल गहना ...इसे हमेशा सम्भाले रखना ...सच्चे दोस्त मिलते नहीं आसानी से ...किया होता है जो अच्छा काम ...उसकी को मिलता है एक सच्चे दोस्त का साथ ...दोस्ती में रूठना - मनाना भी होता है . . .
❤️मेरे छूटू से नन्हू से लड्डू गोपाल🌹🌹दिनभर लोगों को करते रहते परेशान❤️❤️ये करते है माखन की चोरी🌹🌹पर लोगो की हो जाती है रैन की चोरी❤️❤️उनके श्याम रंग की है दुनियाँ दिवानी🌹🌹उनके नैयनों की है राधा
मुझे चांद से प्यार है . .तारो से लगाव हैं . . 2अब हम क्या करे .. सूरज से तो हमें बेहिसाब प्यार हैं . .क्योंकि ...चाँद तो अपनी चांदनी के साथ ,दो रातों के लिए ही आता है . . 2और तारे भी तो सिर्फ अंधेरी र
जान हो तुम मेरे ..हा एक मासूम जान होकौन कहता है कीतुम कुछ नहीं हो मेरेतुम तो मेरे दिल की पहचान हो✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )
हाय ..यह चांद सा तेरा चेहराउस पर है घूंघट का पहराजाने कब बन गई है मेरी जानतेरे घूंघट में छुपी मुस्कान ...हाय मैं वारी जावातेरी इस मासूम सी मुस्कान परदिल मेरा तेरे पर कुर्बान हो जावाइस घूंघट में छुपी म
हमे तुमसे प्यार हैं कितनाये लब्जों में बया नहीं कर सकते इतना बता सकते हम कि तेरे होने या ना होने से फर्क बहुत पड़ता हैतेरे होने से - 2मेरी दुनिया खुशियों से भर जाती हैऔर तेरे ना ह
आज चाँद को रोते देखा .... . . .फिर से ...हमने खुद को खोते देखा .... . . .फिर से ...✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )
माना की हम बिछड़ गए थे . . .पर इंतजार तो कर सकते थे . . .लौट कर आयेंगे पास तुम्हारे ही ...इतना एतबार तो कर सकते थे . . .✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )
हे ! दीनानाथ दिनकर ! 🌞मेरे जीवन में दिन कर दो 🌄ये अंधेरी निशा है जो आई🌑मेरे जीवन की नगरी में 🌆इसे शशि से उज्जवल कर दो🌕✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )
हर रोज - 2एक नई कोशिश करती हूँ मैं ना गलतियां हो मुझे कोईखुश रहा करे मुझसे मेरे अपने ।एक अजीब सपना हैं ये मेरा भी -2कि जिनसे प्यार करती हूँ मैंवो प्यार करे मुझसे भी । ""🌌🌌✍🏻 रिया सिंह सिकरवार
चली थी मैं अकेले ... 2अपने जिंदगी के सफर में, ना रास्ते की थी कोई खबर , ना मंजिल का ही था कोई पता ...जाना है मुझे कहाँ . ?मेरा कोई ठिकाना ही न था !होके खफा मैं अपने ही दुनिया से
हाय ...😚☺️तेरा यूँ शरमा के मुझसे "नज़रे झुकाना "😚मेरे दिल पे कई वार कर गये ...💘💘पहले जो उठी थी ये नजर मेरे दिदार मेंअब वही झुक गई ...☺️मेरी ज़ुबा से एक लब्ज़ सुनने के बाद ...✍🏻 रिया सिंह सिक
यदि अकेले जीना सीख लो ,तो यह दुनिया तुझे कभीठुकरा नहीं सकती ।✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )
गर मिले दो पल की भी ख़ुशीतो उसे खुल के जि लेना ..🤗पता नहीं फिर ये पल मिले या ना मिले कभी हमें दोबारा ...पता नहीं फिर ये पल आये या ना आये कभी जिंदगी में हमारे
वैसे तो हम उनसे बहुत बाते किया करते हैइतना कि उनको कहना पड़ता है . . .यार मेरी भी तो सुनो ....पर जब मेरे करीब आते है ...तो मेरी बोलती ही बंद हो जाती हैं ..और तब वो बड़े ही प्यार से कहते हैं . . . 
मैं चांद में उनको देख कर तो ...खूब बाते करती हूँ उनसे ...पर मैं तब वो सारी बाते भूल जाती हूँ ..जब वो मेरे सामने आ जाते हैं . . .😜✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )