स्वच्छ भारत के तहत क्या भारत की महिलाओं की स्वच्छ्ता मायने नहीं रखती ???
और महिलाओं की स्वच्छ्ता और स्वास्थ्य के लिये उन्हें कम दाम में सैनेटरी नैपकिन देने की बजाय इनका दाम बढ़ाया जा रहा है,,,,,
सेनेटरी नैपकिन पर सरकार के द्वारा दोगुना टैक्स करना कहाँ तक उचित है???
मासिक धर्मजो आता तो सिर्फ महिलाओं को है,लेकिन इसी के आधार पर ही इस संसार का विकास संभव हो पाया है।।।
भारत मे आज भी करीब 80% महिलाएं इस दौरान कपड़े,घास फूस और अन्य चीजें उपयोग में लाती है,,और कई प्रकार के रोगों के होने का खतरा मोल लेती है ।।
एक ओर तो सरकार स्वच्छता का पाठ पढ़ाती है दूसरी तरफ महिलाओं की स्वच्छ्ता पर कोई ध्यान नहीं देती है।।।सेनेटरी नेपकिन को कम दाम में और सस्ता बनाये जाने की बजाय इसको लग्जरी की श्रेणी में लाकर दुगुना टैक्स करना सही नहीं है।।
बाकि चीजों की तरह भी नेपकिन भी एक जरूरत से ज्यादा जरूरी है।।इसको इतना आसान और सुलभ बनाया जाना चाहिए ताकि भारत की प्रत्येक महिला की इस तक पहुँच हो।।
न कि इसको जीटीएस में लागू कर इस पर दोगुना टैक्स लगाना चाहिए ।अगर ऐसा हुआ तो ये महिलाओं की पहुच से दूर हो जाएगा और जो महिलाएं इस्तेमाल करती है वो भी न कर पाएं ।। और न पहुचने का आंकड़ा 80 से 90-95% हो जाएगा ।
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दिव्या अम्बेडकर