इस शोर शराबे के जीवन में, जहां आवाज की प्रबलता/ऊंचाई ही एक मापदंड है; आप शायद भूल ही गए होंगे कि सन्नाटा या शान्ति क्या है और कैसा/कैसी लगता/लगती है. तो सन्नाटा सुनने का तो कोई प्रश्न ही पैदा नहीं होता. सन्नाटा सुनना; यह आपने क्या कह दिया; क्या सन्नाटा भी कभी सुना जा सकता है ?शायद आपने एक पहेली क
कोरोना फैला है सारे संसार मा। गले मिलने की बात छोड़ो हाथ का धप्पा भी न दे किसी भी बात मा। न बस चले न रेल चले, न चले कलकारखाने लोग निकल पड़े है अपने गांव को। सब खो गई उम्मीदे मानव के अंदर की।गली चौक चौबारे खत्म हो गए पब बियर-बार लकड़ी ताश के घेरे। पड़े हुए कोरोना के डर से परदेशी प्रदेश मा। कोरोना फैला