कोरोना फैला है सारे संसार मा।
गले मिलने की बात छोड़ो हाथ का धप्पा भी न दे किसी भी बात मा।
न बस चले न रेल चले, न चले कलकारखाने लोग निकल पड़े है अपने गांव को।
सब खो गई उम्मीदे मानव के अंदर की।
गली चौक चौबारे खत्म हो गए पब बियर-बार लकड़ी ताश के घेरे।
पड़े हुए कोरोना के डर से परदेशी प्रदेश मा।
कोरोना फैला है सारे संसार मा।
हुई उड़ाने खत्म विदेशो की, पड़ गए ताले गुरुद्वारा, मन्दिर, मस्जिदों और दरगाहों में।
कही पॉजीटिव पाए गए तो लॉकडाउन हुए शहर सारे।
कोरोना फैला है सारे संसार मा।
कही पुलिस बाट रही है खाना, कही डंडे से बम को फूला रही है।
हो गुलाम कोरोना की सरकारें खेल रही पैतरे हजार।
कोई कहता चीन ने यह दी बीमारी तो चीन कहता यह यूएस का फंडा है।
मुँह बन्ध गया मुसको से, अब न आवाज किसी के मुख मा है।
सरकारे भी कहने लगी निकलो न घर से, दरवाजो के आगे लक्ष्मण रेखा है।
है जिसको कोरोना की बीमारी उसको अलग कैद कमरों में रखना है।
मिलने जुलने की हुई खत्म परम्परा, सभी की अपनो से दूरी है।
कोरोना फैला है सारे संसार मा।
कौन समझाए इस जनता को? अभी भी मजाक बनाने के लिए एफबी, वट्सएप व टिकटोक मा।
बड़ी विडम्बना है लोगो की, न समझ सकी कोरोना को।
हुई मौत जिनकी कोरोना से उनके घर वाले न रो पाए न जला पाए अपनो को।
कोरोना फैला है सारे संसार मा। अब लोग कैद है अपने-अपने घरों मा।
न अब मिले आदमी आदमी से और बात करे एक मीटर की दूरी से।