इस शोर शराबे के जीवन में, जहां आवाज की प्रबलता/ऊंचाई ही एक मापदंड है; आप शायद भूल ही गए होंगे कि सन्नाटा या शान्ति क्या है और कैसा/कैसी लगता/लगती है. तो सन्नाटा सुनने का तो कोई प्रश्न ही पैदा नहीं होता.
सन्नाटा सुनना; यह आपने क्या कह दिया; क्या सन्नाटा भी कभी सुना जा सकता है ?
शायद आपने एक पहेली कभी सुनी हो-"वह शब्द बताये जिसे बोलते ही आप उसे तोड़ देते हैं".
सुनी है कभी???
इस का उत्तर है सन्नाटा या शांति.
मैं आपके साथ अपने सन्नाटा सुनाने का पहला अनुभव ' शेयर' करता हूँ.
हुआ यों कि मै रोज़ सुबह 'ध्यान' करने का अभ्यास करता हूँ. आज मैंने सोचा कि कोई प्रयत्न नहीं केवल सुना जाए. प्रात: एकदम शांति थी. आँख बंद करके मैंने सुनने पर ध्यान लगाया. कुछ देर ऐसे ही एकदम सन्नाटा रहा और बहुत आनंद दायक लगा. फिर एक पक्षी की आवाज सुनाई दी. फिर सन्नाटा. कुछ पलों बाद फिर एक पक्षी व एक कौए की आवाज आई. थोडा फोकस करने पर और भी आवाजें सुनाई दें लगीं. बीच बीच में पूर्ण सन्नाटे के क्षण भी आते थे. सभी क्षण; सन्नाटे के व पक्षियों की आवाज के; बहुत आनंद दायक थे. कम से तीन प्रकार के पक्षियों की चहचाहट में, मैं स्पष्ट अंतर सुन पाया.
क्या आप प्रयत्न करना चाहेंगे?
कृपया करें और आनद लें.
वीरेन्द्र