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कौन हूं मैं यही तो जानना चाहता हूं बहुत भटका अब खुद को पहचानना चाहता हूं।।

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कुछ बातें मन की

कुछ बातें मन की

मन में आने वाले विचारों को कलमबद्ध किया है,आप पढ़ें और महसूस करें।।

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निःशुल्क

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फुर्सत नहीं

12 नवम्बर 2022
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ले सके दो पल चैन की सांसें इतना भी वक्त नहीं है ऐसी उलझी है जिंदगी खुद के लिए भी फुर्सत नहीं है पहले बड़े-बूढ़ों के आशीर्वाद से हो जाती थी मुरादें पूरी अब कितना भी कमा लें फिर भी घर में बरकत नहीं

सेमीफाइनल की हार

12 नवम्बर 2022
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हार की तरह न हार हुई बेइज्जती फिर इस बार हुई कप वापस आएगा ऐसा सोचा था हमने टूटा सपना और उम्मीदें देखो फिर बेकार हुई।।

शहर-गांव

12 नवम्बर 2022
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बसते हैं सपने शहरों में अपने बसते हैं गांवों में तन तो धूप में जलता है मन जलता है छांव में बसते हैं सपने शहरों में............... खेत,खलिहान और बागों की रौनक गांव में होती है धूल उड़ाती मोटर ग

तकलीफों की दवाई

27 नवम्बर 2021
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<p>जिस आंगन में खेला करते थे वहां अब जमी काई है<br> गांव भूलकर शहर में बसने वाले हर शख्स की यही सच्च

मुक्तक

14 नवम्बर 2021
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<p>जिंदगी में अब थोड़ा संभल रहे हैं हम</p> <p>लड़खड़ा कर ही सही लेकिन चल रहे हैं हम</p> <p>वक्त की इ

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