प्रस्तुत पुस्तक एक ग़ज़ल संग्रह है जिसमें स्वरचित ग़ज़लें संग्रहित हैं। ग़ज़ल ऐसी विधा है जो वर्तमान में अधिक पसंद की जा रही है जिसके माध्यम से कठिन बातों को भी आसानी से कहा जा सकता है
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मैं भी कर सकता हूँ पूरी बारिशों की कमी छोड़ कर तेरे होठों पे अपने होठों की नमी कोई चखे या ना चखे, मुझे तो चखने दे लगती है तू पानी की कोई बूँद शबनमी तेरे बदन के
उलझे हुए हिसाब की किताब बन जाऊँगा बे-पैरहन तेरे जिस्म का लिबास बन जाऊँगा रूह बन उतर जाऊँगा तेरे जिस्म के अंदर तुझे चाँद कहुँगा और तेरा दाग बन जाऊँगा तू बरसती रहेगी यूँ ही उम्र भर मु
चाय भी कि अब जैसे शराब हो गयी है ऐ इश्क़ मेरी ज़िंदगी ख़राब हो गयी है पहले तो हँसता था मैं सितारों के साथ अब हँसी भी मेरी तार-तार हो गयी हैं तेरी मुहब्बत में अब जागते न सोते हैं रोते हैं यूँ कि