वातावरण इस प्रकार दूषित हुआ है बाकी कुछ सालों से अगर इस पर काम ना किया गया तो शायद,हमें आने वाले समय मे ये भी देखने को मिले कि हवा ही जहरीली हो गई या खेत या ज़मीन से उगने वाले फल,सब्जी, घास ये सब देखने को मिले तो शायद ही हमें ताज्जुब हो। क्योंकि बीते कुछ सालों से ऐसी घटनाएं देखने को मिली है की जिसके बारे मे कल्पना करना भी कल्पना के बराबर था ऐसा कुछ देखने को मिले, तो हमें कुछ सोचे बिना ही सच मान लेना एकमात्र जवाब रह जाए। हम मनुष्यों ने जिस हद तक अपने मतलब के लिए इस पृथ्वी का नुकसान किया है वो शायद हमारे साथ साथ हमारे आने वाली पीढ़ी भी इस संकट से ना निकल पाये। आज हमने घर बनाया,लेकिन वातावरण का बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया कि इसके बाद इनका होगा क्या। घर बनाने के लिए हमने पेड़ 🌲 काटे लेकिन जिससे हमें साँस लेने के लिए शुद्ध वायु मिलती थी वो ही काट दिया, और चलो किसी वस काटना पड़ा भी तो हमने नए पेड़ ही नहीं लगाए।और अगर किसी ने लगाए भी तो उसकी देखरेख नहीं की जो अत्यंत चिंता का विषय है। जिस तरह से हमें हर खाली जगह पर खेती करने को छोड़कर प्लांटिंग या घरों का निर्माण मे तेजी दिख रही है उसके लिए भी हमें खाने के लिए और खेती के लिए ज़मीन बचे ही ना। हमारा भविष्य हमारे आने वाली पीढ़ी का भविष्य हम जान बूझकर अंधकार मे डाल रहे है।जिसका कोई भविष्य नहीं। इससे बचने का एकमात्र साधन एक ही है।ज्यादा से ज्यादा पेड़ो को लगाना और ज्यादा से ज्यादा जमीनों पर खेती युक्त ज़मीन बनाकर के उसपर खेती करना।इससे फायदा ये होगा की हमें शुद्ध वायु, जिससे प्रदूषण मे कमी और खेती करने से हमारी जमीने भी हरी भरी होंगी ।जिससे हमारे वातावरण मे ज्यादा से ज्यादा सुधार देखने को मिल सकता है। *त्रिभुवन गौतम s/o शिव लाल शेखपुर रसूलपुर चायल कौशाम्बी उत्तर-प्रदेश भारत।*
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