
डरते झिझकते
सहमते सकुचाते
हम अपने होने
वाले
ससुर जी के पास
आए,
बहुत कुछ कहना
चाहते थे
पर कुछ
बोल ही नहीं पाए।
वे धीरज बँधाते
हुए बोले-
बोलो!
अरे, मुँह तो खोलो।
हमने कहा-
जी. . . जी
जी ऐसा है
वे बोले-
कैसा है?
हमने कहा-
जी. . .जी ह़म
हम आपकी लड़की का
हाथ माँगने आए
हैं।
वे बोले
अच्छा!
हाथ माँगने आए
हैं!
मुझे उम्मीद नहीं
थी
कि तू ऐसा कहेगा,
अरे मूरख!
माँगना ही था
तो पूरी लड़की
माँगता
सिर्फ़ हाथ का
क्या करेगा?
डॉ० अशोक चक्रधर