ये सेमेस्टर का भी मायाजाल कम नहीं है , मिड गया तो फाइनल , फाइनल गया तो मिड आखिर ज़िंदगी क्या ये मिड और फाइनल मै ही सिमट कर रह गया है ? कभी कभी तो लगता है सब कुछ छोड़ छाड़ कर वही अपनी पुरानी स्कूल लाइफ को जीने लगूँ | जहा ना प्रैक्टिकल फाइल का लफड़ा होता था और न ही असाइनमेंट का झंझट |
जहा रातो को नींद पूरी आती थी ना की आज की तरह 5 घंटे वाली वो भी डर लगा रहता है की सुबह 7 बजे वाली प्रैक्टिकल की क्लास न मिस हो जाये |
सुबह 10 बजे से शाम को फिर 4 बजे तक क्लास फिर भी अगर प्रोफेसर साब कुमारगंज बाजार मैं देख ले तो अगले दिन 1 घंटा पक्का डिसिप्लिन पर लेक्चर !!!
और लोगो को क्या पता बच्चे कितना दुःख सहते है इस सेमेस्टर की रीति मै पूरी एक रात लगाते है सिलेबस को ख़त्म करने मे |
6 महीने का कोर्स एक रात मै खत्म, और तो और इसका एक सद वाक्य भी बन गया है जो है - वन नाईट एग्जाम फाइट !!
6 महीने पढ़ने वालो का जी0पी0ए0 8.0 और एक रात पढ़ने वालो का 7.9 यही तो खेल है जो हमारे वीर योद्धा उस आखिरी रात को खेलते है |आज के लिए इतना ही नहीं तो प्रोफेसर साब नाराज़ हो जायेंगे आगे और भी बहुत कुछ बताऊंगा तब तक लिए नमस्कार
'नीरज अग्रहरि ' न0दे0कृवि0वि0 कुमारगंज फैज़ाबाद