जब करने लगे दांत दर्द ,
और बहने लगे हवा सर्द |
जब सोना पड़े चटाई पर ,
और रोना पड़े पढाई पर |
जीवन हो जाये भागम भाग ,
और एग्जाम भी आ जाये एकदम पास |
जब मैगी पर रहना हो ज़िंदा ,
तो नीरज भइया कैसे रहे चंगा |
जब सारी दूध पी जाये बिल्ली ,
और दोस्त भी मिलकर उड़ाए खिल्ली |
जूते मै हो गया है छेद ,
डर है कही खुल जाये न भेद |
होते नहीं है ठीक से पास ,
और नीरज भइया लगाए है आई ए एस की आस |
जिस कमरे मे है जीव जन्तुओ का सबसे ज्यादा वास ,
वही है नीरज भइया का निवास |
गैस चूल्हा तो लै है आये ,
पर यह ना पता की कैसे जलाये |
फेसवाश नीविआ का लगाए ,
पर चेहरे से फिर भी कील न जाये |
लाइट का है न अता न पता ,
नीरज भइया भी कमरे से हरदम लापता |
अब जल्दी से घर जाना है ,
मम्मी को ये सब सुनाना है |
की आपका लाडला विपत्तियों से गया है घिर ,
और कही चकरा न जाये उसका सिर |
रोज़ सुबह उठकर करते है पूजा ,
ताकि कोई विपत्ति न आ जाये दूजा |
ये है नीरज के आम जीवन का हाल ,
इससे ज्यादा न सुनो नहीं तो मच जायेगा बवाल |
' नीरज अग्रहरि '