शायद
तुमने पूछा
तुम कहाँ हो
तो
हम वहीं हैं जहाँ थे
यानी नर्मदा किनारे
कभी कभी सोचती हूँ कि
शायद मेरा जन्म ही यहीं के लिए हुआ होगा
नर्मदा का पत्थर बनने
कहते हैं नर्मदा के कंकड़
सब हैं शंकर
शायद कभी कोई सिरफिरा
मुझे उठा कर रख दे किसी मढिया में
और मै वहाँ पडी़
एहसास विहीन देखा करुगीं
सभी कुछ
बिना किसी आस उम्मीद और अपेक्षा के
शायद यही होती होगी
परमहंस स्थिति
शायद
शायद