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मेरे साईं

2 दिसम्बर 2022

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पैदा बोट्टू का नाम नहीं किसी परिचय का मोहताज शिरडी साईं की परम भक्त सत्य साईं का भी पाया साथ

1818 में जन्मे शिरडी साईं का भक्त साईं का भक्त था परिवार साईं के द्वारा ही पाया  शारदा देवी सुंदर नाम

छोटी उम्र में मात पिता को खोया क्रूर नियति का विचित्र विधान का विचित्र विधान नियति का विचित्र विधान

परिजनों ने प्यार से पाला और किया दुखों का निदान

बाल गोपाल की मिली मूर्ति भक्ति ने अपना रंग जमाया

शंकराचार्य ने दे आशीष उनके मन को को बरसाया

12 बरस की होते होते परिजनों ने उनका ब्याह ब्याह परिजनों ने उनका ब्याह ब्याह कर डाला

किंतु हाय नियति वैवाहिक सुख ना उन ने ने पाया

18 वर्ष की अल्पायु में सन्यासी में सन्यासी जीवन  अपनाया

समाज सेवा का व्रत लेकर संगीत विद्यालय और अनाथालय खुलवाया

 साईं भक्ति  मे  रत रही वे करती रही काव्य रचना रचना

 तरह तरह के गीतों से सजाती रही अल्पना

बाबा ने एक बार कहा आंध्र प्रदेश में प्रेम दूंगा में प्रेम दूंगा

 फिर इसी नाम साईं से अति निकट रहोगी तुम मेरे जब परिचय होगा साईं से

1940 में शारदा देवी पहुंची उरुवा कोंडा कोंडा अनायास बालक सत्या को साईं रूप में पाकर हो गई वे निहाल निहाल

भक्ति भाव और समर्पण की थी वह जागृत मिसाल मिसाल

साईं प्रेम के कारण  आश्रम में ही किया निवास

 अति प्रेम से साईं ने पेद्दा  बोट्टू नाम दिया

अपनी अनंत भक्त पर इस प्रकार उपकार किया

स्वामी की भक्ति में भाव विभोर वे रहती थीं

उनको  जपती उनको  भजती साईं साईं वे करती थी

विभिन्न पुस्तकों की रचना से धन्य हुआ भारत

हिंदी संस्कृत कन्नड़ तमिल तेलुगू कई भाषाओं में थी महारत

सत्य साईं व्रत कल्पम  लिख

 उपकार हम सब पर किया

पूजा की विधि बतला कर मार्गदर्शन सबका सबका किया

                                         कृष्णा वर्मा


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