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1 किताब
नर्मदा नर्मदा नहीं है केवल नदी ये है जीवनदायिनी संस्कृति की वाहिनी सर्व शांति प्रदायिनी साधना की स्थली और मोक्षदायिनी नर्मदा के कंकड़ पुजते बन शंकर अम्रत तुल्य नीर रेवा गहन औ गंभीर डुबकी ल
संकट संकट की इस विषम घड़ी में आज हास्य की बात न सूझे हृदय विकल है मन अधीर है पर रक्षा की राह न सूझे काल ने अपना जाल बिछाया घर के अन्दर सबको डाला कल कारखाने बंद हुए मजदूर के हाथ तंग हुए भूखो
मेरा सपना बोझा ढोते.फुटपाथ पर सोते मैनें भी देखा है सपना एक घर हो टूटा सा छोटा सा बारिश में पानी टपकाता गरमी में आगी बरसाता चाहे जैसा भी हो एक घर हो अपना कचरे से पन्नी बीनते साथियों से टुक
प्रलयंकारी बरसात हे प्रभु इस प्रलय काल में रक्षा करना उन बेचारों की घर हैं जिनके मिट्टी के सिर पर नहीं है खपरैल पालीथीन की छत बनी कर फट्टों से ही मेल इस प्रलयंकारी बरसात में घुप्प अंधेरी रात
शायद तुमने पूछा तुम कहाँ हो तो हम वहीं हैं जहाँ थे यानी नर्मदा किनारे कभी कभी सोचती हूँ कि शायद मेरा जन्म ही यहीं के लिए हुआ होगा नर्मदा का पत्थर बनने कहते हैं नर्मदा के कंकड़ सब हैं शंकर
कोरोना कहर हाट बाग चौराहे सूने गलियां सूनी सड़कें सूनी बंद कपाट देवालय सूने ईश्वर एकटक देख रहे भक्त मंदिर का रस्ता भूले नदिया लहर लहर अब भी करतीहै पर इंसान नहाना भूले हर रोज जहां मेला
पैदा बोट्टू का नाम नहीं किसी परिचय का मोहताज शिरडी साईं की परम भक्त सत्य साईं का भी पाया साथ 1818 में जन्मे शिरडी साईं का भक्त साईं का भक्त था परिवार साईं के द्वारा ही पाया शारदा देवी सुंदर नाम छोट