अरे इश्क किया है, तुमसे
कोई तुम्हारे, पहरेदार नहीं है ।
और तुम्हे जाना है, तो जाओ
कोई तुम्हारे कर्जदार, नहीं है ।
मैं पहले भी अकेला था,
और अब भी, तनहा जी लूंगा
इश्क करूंगा नहीं दोवारा,
मैं खुद को इतना पागल कर लूंगा ।।
कुमार धीरज