तू विधवा है,तेरा मुंह भी देख ले ,तो सारा काम चौपट हो जाए ,दूर हट।
14 साल की राजमणि को दुत्कारते हुए उसकी सास चिंतामणि कहती है ,ये तो उस घर में रोज का नियम था ।
पूजा हो,आस पास शादी विवाह हो ,कोई घर से शुभ कार्य को जा रहा हो,उसे पहले ही कोठरी में बंद कर दिया जाता,सासु मां कहती इसका साया भी न पड़े।
छोटी राजमणि को तो ये भी समझ नहीं थी कि उसके साथ क्या हुआ था ,2 साल पहले वो ब्याह के आई ,पति बाबू बीमार रहते शायद सब बताते थे कि उनको टीबी था ,एक दिन मुंह से खून आया और वो धड़ाम से गिरे, कहते हैं वो वहां चले गए ,जहां मेरी मां मुझे छोड़ बचपन में चली गई,भगवान के पास।
उसके बाद मेरी चूड़ी ,मेरे सुंदर कपड़े ,सिंदूर सब हटा दिया गया।
पर मां जब गई थी तो बाबा को कुछ नहीं करना पड़ा,वो तो और ठाठ से घूमते थे ,और हर आयोजन और शुभ कार्यों में आगे रहते और मां के मरने के बाद हमारे लिए दूसरी मां ले आए।
सारी वर्जनाएं स्त्रियों के लिए ,पुरुष के लिए क्यों नहीं?हमें ही रंगों से दूर कर बेरंग जिंदगी सौगात में दे दी जाती है।
क्यों ?????¿??????