ज्यादातर लोग भूतों के अस्तित्व को मानते हैं।
भूत वो जो किसी कारण से तृप्त नहीं होते और उनमें वासनाएं बची रहती हैं तो वे वायुमंडल में विचरण करते रहते हैं,हम अपनी नंगी आंखों से नहीं देख पाते परंतु दिव्यदर्शी व्यक्ति उन्हें महसूस कर सकता देखता भी है।
अच्छी आत्माएं अपनी मुक्ति के लिए संतों या मंदिरों के आस पास भटका करती हैं ।जबकि दुष्ट आत्माएं किसी कमजोर इच्छाशक्ति वाले शरीर की तलाश में होती हैं जिसपर कब्जा कर वे अपना मनचाहा कार्य कर सकें।
ये ज्यादातर काफी दिनों से बंद हवेली ,घर,जीर्ण शीर्ण घरों को ही अपना निवास बनाते हैं।
एक बार की बात है,रामकृष्ण परमहंस को किसी ने अपने घर भोजन पर बुलाया।
रामकृष्ण ने घर में घुसते ही एक नकारात्मक ऊर्जा महसूस की ।
खाना खाने के बाद रात्रि विश्राम की व्यवस्था कर दी गई।
जब परमहंस जी लेटे तो उन्हें महसूस हुआ कि कमरे के कोने से फुसफुसाहट की आवाज आ रही है।
कुछ देर तक उन्होंने ध्यान नहीं दिया ,लेकिन फुसफुसाहट तेज थी।
वे उठकर बैठ गए। वो आवाज़ें स्वामी जी को जाने के लिए विनती कर रही थीं,स्वामी जी की ऊर्जा से उनका वहां टिकना असंभव हो रहा था।
स्वामी जी ने कहा क्या बात है ,बोलो_
कोने से आवाज आई _कृपया हे स्वामी जी ,आप ये स्थान छोड़ कर चले जाएं,हम सालों से इस स्थान में रह रहें हैं ,आपके आने से हमारा ह्रास हो रहा ।हम पर दया करें ।
उस कमरे में सालों से भूतों का डेरा था।
इतना सुनते ही राम कृष्ण परमहंस उठे और अपने
मेजबान का घर छोड़ कर बिना बताए रात को ही चले गए।