तेरा चेहरा अब …
हृदय का एक कोना,तुम्हारा एक हिस्सा था वहाँ,तेरा चेहरा और कई तस्वीरें,भरने लगा है वो,उलझनों से अब,जद्दोजहत तो होती है,अकेले उन्हें हटाने की,शायद रख पाता तुम्हें पर,तुमने भी कोई कोशिश नहीं की !ऐसे तो बसी है मन में,एक सुन्दर कृति पुरानी,रूखे रूखे रुख ने तेरे,कुछ उसको भी तो घिस दिया,जैसे रेगमाल रगड़ दिया