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सुजीत कुमार : – पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवस्थित शहर भागलपुर(बिहार ) मेरी जन्मभूमी.. वर्तमान मेरी कर्मभूमि राजधानी दिल्ली.अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक का सफर जारी है ! पेशे से : डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेसनल. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ ! लम्बे समय से अपने ब्लॉग पर लेखन कार्य कर रहे !

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तेरा चेहरा अब …

7 जून 2016
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हृदय का एक कोना,तुम्हारा एक हिस्सा था वहाँ,तेरा चेहरा और कई तस्वीरें,भरने लगा है वो,उलझनों से अब,जद्दोजहत तो होती है,अकेले उन्हें हटाने की,शायद रख पाता तुम्हें पर,तुमने भी कोई कोशिश नहीं की !ऐसे तो बसी है मन में,एक सुन्दर कृति पुरानी,रूखे रूखे रुख ने तेरे,कुछ उसको भी तो घिस दिया,जैसे रेगमाल रगड़ दिया

किसी भी लहजे में नहीं

7 जून 2016
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किसी भी लहजे में तो नहीं कहा,की तुम्हारी कई बातें अच्छी नहीं,झुंझलाहट भरी थी चुप्पी तेरी,प्रेम में डूब के कैसे कहता की,कुछ द्वेष भी तो पलने लगा अंदर,कैसे बदलने लगा था व्वयहार तेरा,बदल के तुम वो नहीं रहे अब,या बदल के अब कैसे हो गए,यहाँ कौन निर्धारण करेगा,मेरा या तुम्हारा कर्म हो कैसा,कोई तो तय नहीं क

किसी भी लहजे में नहीं ….

12 मई 2016
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किसी भी लहजे में तो नहीं कहा,की तुम्हारी कई बातें अच्छी नहीं,झुंझलाहट भरी थी चुप्पी तेरी,प्रेम में डूब के कैसे कहता की,कुछ द्वेष भी तो पलने लगा अंदर,कैसे बदलने लगा था व्वयहार तेरा,बदल के तुम वो नहीं रहे अब,या बदल के अब कैसे हो गए,यहाँ कौन निर्धारण करेगा,मेरा या तुम्हारा कर्म हो कैसा,कोई तो तय नहीं क

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