वैसे तो राकेश लगभग हर साल गर्मी की छुट्टियों में नानी के घर मिर्जापुर जाता था पर इस बार दो साल बाद आया था तो मन कुछ ज्यादा ही खुश था, मामा मामी और सभी बच्चे किसी शादी में गए थे घर पर सिर्फ नानी नाना ही थे थोड़ी देर उनसे यहां वहां की बात करके राकेश खेत और बाग घूमने अकेले ही निकल गया , जेठ की तपती धूप जैसे शीशे सी चमक रही थी सर पर गमछा बंधे राकेश वर्षो पुराने आम के पेड़ के नीचे छाँह में रुक गया ऊपर देखा तो आम की छोटी छोटी अमोरी निकल रही थी उन्हें तोड़ने की सोच रहा था कि पीछे से आई आवाज ने चौका दिया उसे, "कब आये राकेश भैया" मुड़ के देखा तो बनवारी काका की सबसे छोटी लड़की सुलोचना खड़ी थी, अरे सुलोचना कित्ति बड़ी हो गयी बिट्टी तुम, राकेश सुलोचना को देखते हुए बोला, और यहां का कर रही इतनी दुपहरी में ...सुलोचना ने रूपट्टे के कोने से पीसा नमक मिर्च निकाला और आंखे घुमा के बोली अमोरी खाने आये है भैया रुको हम तोड़ते है जब तक राकेश कुछ कहता सुलोचना कूदते फांदते पेड़ पर चढ़ी और अमोरी तोड़ के नीचे गिराने लगी बटोर लो भैया पर लेकर भाग न जाना ऊपर से हस के बोली सुलोचना राकेश ने जल्दी जल्दी आम की छोटी अमोरी उठा ली , नीचे उतर कर सुलोचना ने 2 अमोरी अपने हाथ मे ली बाकी राकेश को देकर बोली आप ले जाओ भैया और ये नमक मिर्चा भी ले जाओ कल आना फिर से और अमोरी खिलाऊंगी कह कर उछलते कूदते सुलोचना बाग से बाहर हो गयी नमक मिर्च की पूड़ियाव और अमोरी पैंट की जेब मे रखकर राकेश घर की ओर मुड़ गया
मामा मामी बच्चे वापस आ गए थे राकेश सभी से मिलकर हँसी मजाक में लग गया और कब शाम हो गयी पता ही नही चला तभी मामी ने छोटे बेटे से कहा जा जल्दी से अमोरी ले आ आज भैया को चटनी खिलाएंगे, राकेश को ध्यान आया ...अरे मामी रुको मेरे पास अमोरी है दोपहर में सुलोचना बिट्टी ने तोड़ के दिया था, रोटियां बेल रही मामी ने घूम के राकेश को देख और पूछा कौन सुलोचना लल्ला ...अरे मामी बनवारी काका की बिटिया छोटी वाली ...पास ही खड़े मामा ने एक बार मामी की ओर देखा फिर राकेश से बोले क्या लल्ला हमहि मिले उल्लू बनाये खातिर अरे सुलोचना तो डेढ़ साल पहले मर गयी रही .... क्या राकेश को विश्वास न हुआ दौड़ के गया अपने पैंट की जेब से नमकमिर्च और अमोरी निकालने पेंट की जेब मे थोड़ी सी मिट्टी की सिवा कुछ नही था तेज चल रहे कूलर की हवा में भी राकेश पसीने पसीने हो गया था धीरे से हिम्मत जुटा के मामा से पूछा ...कैसे मरी थी सु..लोचना जबाब मामी ने दिया लल्ला उ तो बगिया में पेड़ से गिर गयीं रही...राकेश के कानो में अब भी सुलोचना की आवाज गूंज रही थी ....कल आना फिर से और अमोरी खिलाऊंगी...राकेश ने अपने को जैसे तैसे सम्हाला पर मन ही मन तय कर लिया कि कल वो जरूर जाएगा बाग में ठीक उसी समय ........क्रमशः