तुम्हारे बग़ैर ।..
सुनो ज़रा,,,, एक छोटी सी दास्ताँ अधूरी है ठहरो तो सुन भी लो न जाने क्या क्या अधूरा है तुम्हारे बग़ैर.... सचमुच मैं मेरा मन मेरी तन्हाई बस इतना सा ही रह गया सिमट कर मेरा जहाँ तुम्हारे बगैर.... सुनो तो और भी बहुत कुछ टूटे पत्तों की तरह रह गया सूखकर बिखरकर तुम्हारे बगैर.... सुन भी लो अध