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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-12-20

Sushil Mishra की पुस्तकें

क्षितिज राज

क्षितिज राज

इस किताब को लिखने का उद्देश्य मेरे मन के विचारों को जीवन्त रूप देना था आशा है पाठकों को मेरी कविता पसंद आएगी

निःशुल्क

क्षितिज राज

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इस किताब को लिखने का उद्देश्य मेरे मन के विचारों को जीवन्त रूप देना था आशा है पाठकों को मेरी कविता पसंद आएगी

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ऋतूराज

ऋतूराज

यह किताब मेरी कल्पना में आये विचारो की एक माला है जो पाठको पड़ते समय ऐसी लगेगी जैसे यह सब उन्ही के जीवन में कभी घटित हुआ हो

2 पाठक
8 रचनाएँ

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ऋतूराज

ऋतूराज

यह किताब मेरी कल्पना में आये विचारो की एक माला है जो पाठको पड़ते समय ऐसी लगेगी जैसे यह सब उन्ही के जीवन में कभी घटित हुआ हो

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Sushil Mishra के लेख

उसका चेहरा

22 दिसम्बर 2022
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उसकी आंखो को कभी देखा है छपकते हुए  खूबसूरती का सारा मंजर जैसे छुपाये हुए उसकी जुल्फो को कभी देखा है गालो पर आते हुए  सारी घटाये जैसे वो बैठी हो छुपाये हुए उसको देखा है कभी मुस्कुराते हुए  जैसे म

मेरा ख्बाव

22 दिसम्बर 2022
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 मेरा ख्बाव     दिल के इस दर्द का मरहम बन जाना तुम   सुनो ना इस सफर में हम सफर बन जाना तुम  मेरा ख्बाव है की चले एक लम्बे सफर हम तुम  इस ख्बाव को हकीकत कर देना तुम   ये हवाये पुछती है नाम अक्सर

उठो पथिक

22 दिसम्बर 2022
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उठो पथिक उम्मीद की किरण बन आया  अँधेरा चीर कर  सूरज आया  पंक्षी फिर चहकने लगे गगन में  फिर झरनो ने गीत मधुर गाया  ऋतुओ ने खिलाये फूल  भवरो ने गुनंज किया  नदिया अपने उद्गम से निकल गई फिर सागर

कल्पना में

22 दिसम्बर 2022
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कल्पना में कल्पना में सृजित निर्मित जो परिकल्पना है  वास्तविकता में वह छल है  वह छल है वास्तविकता में जो निर्मित है  सृजित है कल्पना की परिकल्पना में भ्रम के इस जाल में जो उलझा नहीं है  बस वही

रेला जैसे पानी का

22 दिसम्बर 2022
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रेत सा समय हाथो से छूटता ही जा रहा   रेला जैसे पानी का बहता ही जा रहा   ना समझे ना समझ आया   कोई सपना बुना ओर बिखरता ही जा रहा   क्या गलत क्या सही   बस काम ही काम है   ओर ये काम भी जैसे बस होता

निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए

22 दिसम्बर 2022
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निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए  बहती नदियाँ की तरह बहते रहिए पथ की सुगमता क्या पथ की जटिलता क्या जो भी मिले वरण कीजिए  निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए  बहती नदियाँ की तरह बहते रहिए मुसाफिरो सा अ

दिल की बात है

22 दिसम्बर 2022
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दिल की बात है दिल ही जानता है  दिल भला कब किसी की मानता है  ना जोर चले इस पर ये जमाना भी जानता है  फिर भी जमाना भी कहा मानता है  दे कर सौ दुहाईया  कर बाता है दिलो की जुदाईया  फिर में दिल में है

लोकतंत्र की लाचारी है

22 दिसम्बर 2022
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लोकतंत्र की लाचारी है  दुखी ये जनता सारी है कोराना की पीर  में  जारी कालाबाजारी  है क्या नेता क्या अभिनेता  सबकी सर्कस जारी है  लूट गई जनता  मर गई जनता  लोकतंत्र हम आभारी है  कईयो के अपने छूट

अम्बर तक जाओगे

22 दिसम्बर 2022
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जिसने चुनौतियों का वरण ना कर  सहज भाव में जीवन को स्वीकार किया  क्या उसने जीवन का आनंद लिया  जो खुद को गर ना कर पाये  जीवन में रोमांचित तो क्या तुमने खाक जीवन का रसपान किया  सहज सरल रहे जो सिर्फ

सुन्दर वन

22 दिसम्बर 2022
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सुन्दर से वन में  हम घुमे जरा  हिरणे ले रही थी  घुम -घुम कर ताजी हवा का मजा  और आगे चले  हम जरा  देखा वह सुन्दर नजारा मौत अपने पंख पसारे  नाच रहा था यहां- वहां उस सुन्दर से वन में  हम घुमे

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