उसकी आंखो को कभी देखा है छपकते हुए
खूबसूरती का सारा मंजर जैसे छुपाये हुए
उसकी जुल्फो को कभी देखा है गालो पर आते हुए
सारी घटाये जैसे वो बैठी हो छुपाये हुए
उसको देखा है कभी मुस्कुराते हुए
जैसे मौसम को दे रही हो गीत नये
उसके संग वो केविन में हंसी की बाते
वो उसको देना मेरा तोहफा
सभी के सामने
ओर तोहफे से ज्यादा उसका
मुझे निहारना
चोकलेट के लिए थैंक्यू कहना
कभी महसूस किया है ऐसा क्या
उसका यू जब भी मिले मुस्कुरा देना
उफ्फ उसका चेहरा
उसका नजरे चुराना
मंुह फिराना
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)