सुन्दर से वन में
हम घुमे जरा
हिरणे ले रही थी
घुम -घुम कर
ताजी हवा का मजा
और आगे चले
हम जरा
देखा वह सुन्दर नजारा
मौत अपने पंख पसारे
नाच रहा था यहां- वहां
उस सुन्दर से वन में
हम घुमे जरा
हम ने देखा
पंछीयो का चहकना
हवाओं का गाना
बादलों का बरसना
और हमारे मन का बहकना
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)