जिसने चुनौतियों का वरण ना कर
सहज भाव में जीवन को स्वीकार किया
क्या उसने जीवन का आनंद लिया
जो खुद को गर ना कर पाये
जीवन में रोमांचित तो क्या
तुमने खाक जीवन का रसपान किया
सहज सरल रहे जो सिर्फ
तरूवर की छाया में
मान लिया स्वयं को वोना
फिर सोचो कैसे
अम्बर तक जाओगे
नहीं दी चुनौती खुद को
तो फिर कहा से
वरन विजय होगी
जीवन बस रहा
अपनो को ऊँचा -नीचा दिखाने मे
फिर तुम ही कहो
कैसे उन्नति होगी
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज )