कल्पना में
कल्पना में सृजित निर्मित जो परिकल्पना है
वास्तविकता में वह छल है
वह छल है वास्तविकता में जो निर्मित है
सृजित है कल्पना की परिकल्पना में
भ्रम के इस जाल में जो उलझा नहीं है
बस वही एक जान पाया शहर कल्पनाओ के
सुशील मिश्रा क्षितिज राज
22 दिसम्बर 2022
कल्पना में
कल्पना में सृजित निर्मित जो परिकल्पना है
वास्तविकता में वह छल है
वह छल है वास्तविकता में जो निर्मित है
सृजित है कल्पना की परिकल्पना में
भ्रम के इस जाल में जो उलझा नहीं है
बस वही एक जान पाया शहर कल्पनाओ के
सुशील मिश्रा क्षितिज राज