हमारे शरीर में नेत्रों का स्थान सर्वोपरि होने के कारण ही इसे अनमोल कहा जाता है। आगे पढ़ें-
चाक्षुषोपनिषत् स्वस्थ नेत्रों के लिए रामबाण है हमारे शरीर में नेत्रों का स्थान सर्वोपरि होने के कारण ही इसे अनमोल कहा जाता है। नेत्रों में पीड़ा हो या उसमें रोशनी न हो तो वे व्यर्थ हैं। नेत्र नीरोग रहें उसमें रोशनी दीर्घकाल तक सामान्य रहे और किसी प्रकार की पीड़ा न हो इसके लिए चाक्षुषी विद्या की चर्चा होती है। चाक्षुषी विद्या चाक्षुषोपनिषत् पर आधारित है। यह उपनिषद ् कृष्ण यजुर्वेदीय परम्परा के अन्तर्गत आता है। इस उपनिषद् में नामानुरूप नेत्ररोग दूर करने की सामर्थ्य है। इस उपनिषद में सर्वप्रथम इसकी महत्ता बतलायी गई है। तदोपरान्त इस उपनिषद के ऋषि, देवता, छन्द और विनियोग की चर्चा की गई है। यदि आप प्रतिदिन सूर्योदय काल में सूर्य देवता के समक्ष चाक्षुषोपनिषत् का 12 बार पाठ नियमित करें और मन में पूर्ण आस्था एवं विश्वास रखें तो नेत्र संबंधी सभी प्रकार की पीड़ा से मुक्ति मिल सकती है। बहुत लोग इस साधना को करके अपना चश्मा तक उतार चुके हैं! चाक्षुषोपनिषत् का संपूर्ण पाठ हिन्दी अनुवाद सहित यहां दे रहे हैं जिससे इसका पाठ को करने में आसानी रहे और आप नेत्र पीड़ा से मुक्ति पाकर नेत्रों को स्वस्थ रख सकें। यह जान लें कि चाक्षुषोपनिषत् स्वस्थ नेत्रों के लिए रामबाण है। आगे पढ़ें- JYOTISH NIKETAN: चाक्षुषोपनिषत् स्वस्थ नेत्रों के लिए रामबाण है