एक औरत अपने पति से झगड़ा कर रही थी और उससे पैसे मांग रही थी । वो कह रही थी कि तुम्हारे कामाने से क्या फायदा । रोज तो तुम दारू पीकर और जुआ खेल कर पैसा बरबाद कर देते हो । घर में कुछ भी नहीं हैं , मैं अपने बच्चे को क्या खिलाऊंगी । कम से कम उस बच्चे के बारे में तो सोच लिया करो । क्यों अपने जैसा उसकी भी जिंदगी खराब करने पर तुले हुए हो ।
उस औरत का पति इस समय पीकर टून्न था । उसे अपनी बीबी की बातों पर गुस्सा आ गया और वो उसे मारने लगा और कहने लगा साली तुम अब बहुत बोलने लगी हो । आज - कल थोड़ा ढिला छोड़ दिया हैं तो तेरी जुबान ज्यादा चलने लगी हैं । तुझे पैसा चाहिए पैसा ... ये कहकर उसने अपनी बीबी को बेलट निकाल कर उससे ताबड़- तोड़ मारने लगा । उसकी बीबी दर्द से तड़पने लगी और रोने लगी और रोते हुए कही — तुम्हें इसके आलावा और कुछ आता भी कहा है ।
तभी दोनों का लड़का खेल कर आया , जब वो अपनी माँ की रोने की आवाज सुना , तो वो डर गया कि कही उसका बाप हमेशा की तरह इस बार भी मार - मार कर वीमार ना कर दे मेरी माँ को । वो बाहर से दरवाजा पीटने लगा । खोलों - खोलों ... बाबू जी दरवाजा खोलों ... मत मारों मेरी माँ को .... छोड़ दो उसे । ये कहते हुए वो लड़का रोने लगा । जब उसकी माँ उसके रोने की आवाज सुनी तो वो अंदर से ही रोते हुए बोली — प्रीतम अभी के लिए चले जाओं यहां से , नहीं तो ये राक्षस तुझे भी नहीं छोड़ेगा । चलें जाओं मेरे बच्चे ....
लड़का रोते हुए बोला — नहीं ... माँ ... मैं तुम्हें छोड़कर नहीं जाऊंगा । फिर वो दरवाजे के बाहर से ही , अपने पिता से गिड़गिड़ाते हुए कहने लगा — बाबू जी छोड़ दो ना ... माँ को मत मारो ... तबीयत बिगड़ जायेगी माँ की ... छोड़ दो बाबू जी ... रहम करो उस पर । मैं माँ को समझाऊंगा की वो आपसे पैसा नहीं मांगेगी । छोड़ दो उसे अब ... दरवाजा खोल दो ... 😭😭
प्रीतम का बाबूजी उसके इतना बोलने से और अपनी माँ की साइड लेने से चिढ़ गया , इस समय उस पर शराब का नशा पूरा चढ़ गया था , उसे खुद समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोल रहा है । वो प्रितम पर गुस्से से चिल्लाते हुए बोला — साले ... कमिने ... नमक हराम ... मेरे घर में रहकर , मेरा कमाई खा कर , तू इस साली की तरफदारी कर रहा है , रुक तेरी भी दवाई करता हूँ ... जब एक परत तेरे जिस्म से चमड़ी उधेड़ दुगा ना , तब तुम्हें समझ आयेगी की तु किससे जुबान लड़ा रहा था । तु मुझे बतायेगा .... अपने बाप को , की मुझे क्या करना है । इतना कहकर वो जोर से दरवाजा खोला और प्रीतम पर टूट पड़ा ..... प्रीतम उसके हर वार पर बस बाबू जी ... बाबू जी कर रहा था और रो रहा था । उसकी माँ अंदर अपने बेटे पर बरस रहे डण्डे की मार को देखकर तड़प रही थी । उसमें इतनी हिम्मत नहीं बची थी कि वो चलकर कुछ करे अपने बेटे को उस दानव से बचाने के लिए । वो अधमरी सी अवस्था में तड़प रही थी अपने बच्चे के लिए । अपने आँखों के सामने अपने बच्चे को अपने जैसे ही अधमरा होते हुए देख रही थी । वो चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी ।
प्रीतम का भी अब रोना कम हो गया था ... उसका बाप नशे में धूत होकर उसे इतना ना मार दिया था कि प्रीतम बरदास्त नहीं कर पाया और वो कुछ देर में ही बेहोश हो गया । उसके शरीर से जगह - जगह से खून रिस रहे थे ।🙁🙁
प्रीतम को बचाने के लिए उसके जो पड़ोसी आये थे , उन्हें भी उसने नहीं छोड़ा था । सबको गंदी - गंदी गालीयां देकर और जान से मारने की धमकी देकर भगा दिया और उनसबसे ये कहा कि खुद को और अपने घर को देखों । दुसरे के मामले में टांग मत अडाओ ।
मां अंदर दो - दो दर्द से तड़प रही थी और बेटा बाहर बेहोश पड़ा था । ऐसा आज पहली बार नहीं हुआ था , ऐसा इन दोनों के साथ हमेशा से होते आ रहा है ।
ऐसे ही एक दिन प्रीतम अपने स्कूल में गया । वो जब गया तो क्लाश शुरू हो गई थी । क्लाश टीचर जब उसे देखे तो उन्होंने उसे अंदर बुला कर , उससे उसके लेट आने का कारण पूछा , तो वो डरते हुए बोला — सर मेरी माँ की तबीयत खराब है , उनके लिए दवा लेने बाजार गया था , तो स्कूल आने में लेट हो गया । तब टीचर उसकी बात सुनकर उससे कहे — अच्छा ठीक है कोई बात नहीं । तुम अपनी माँ का ध्यान रखना ... और इसके साथ ही उन्होंने उससे कहा — ... ठीक है बेटा . . अब तुम जाओं और बैठ जाओं ।
प्रीतम अपने क्लास का होनहार बच्चा था , वह क्लास में हमेशा मन लगाकर पढ़ाई करता था । इसी वजह से उसे सारे टीचर बहुत प्यार करते थे । आज जब उसके टीचर उसको देखे की , प्रितम का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है । उसका ध्यान कहीं और है और परेशान भी लग रहा है । तो उन्होंने क्लास के बाद उसको बाहर बुलाकर उससे उसके परेशानी का कारण पूछा ।
टीचर — बेटा तुम आज सुबह से ही परेशान लग रहे हो ! क्या कोई बात है , क्या मां की तबीयत ज्यादा खराब है ?
प्रीतम ( उदास होकर ) — जी सर ... ! सुबह में डॉक्टर के पास गए थे तो , उन्होंने मुझे यह कहकर भगा दिया कि पैसा कम लाया हूं मैं , और यह दवाई बहुत महंगी है । मैंने उनसे बहुत कहा कि मैं आपको बाद में बाकी के पैसे दे दूंगा , पर उन्होंने मुझे दवाई नहीं दिया और मैं बिना दवाई लिए ही घर वापस आ गया । मेरी मां बहुत बीमार है । मैं उनके लिए कुछ भी नहीं कर पा रहा हूं । इतना कहते कहते उसके आंखों से मोटे - मोटे आंसू गिरने लगे।
टीचर उसके आंसू पोछते हुए उससे पूछे — तुम्हारे पापा क्या करते हैं ?
प्रीतम सुबकते हुए बोला — मेरे पापा अच्छे इंसान नहीं हैं । वो मुझे और मेरी माँ को हमेशा मारते रहते हैं और पैसा भी नहीं देते है । सब जुवा और शराब में खर्च कर देते हैं । कभी - कभी घर में माँ से लड़ाई कर के जो रासन हमें मिलता है , वो भी लेकर बेच देते है , बस वहीं एक मात्र हमारा सहारा है और वो भी छीन लेते है हमसे । माँ दूसरे किसी के घर में रासन में से कुछ निकाल कर रखने को दे देती है , बस वही बचता है उनसे । कुछ भी नहीं रहने देते है घर में । यहां तक मेरे घर मे मेरी माँ सब्जी भी नहीं खरीदती हैं उनके वजह से । एक पैसा भी नहीं देते हैं । सब्जी बेचने वाले जो खाराब सब्जियां फेकते है , उन्हीं में से जो अच्छा होता है , उसको मैं और मेरी माँ वहां से लाते है , तो घर में खाना बनता हैं । मेरी माँ कुछ दिनों से ज्यादा वीमार हो गई हैं । अब वो काम पर नहीं जा रही है दो दिनों से , तो अब मैं जाता हूँ काम करने ,यहाँ से छूट्टी होने के बाद एक होटाल में । वहीं से मैंने कुछ पैसा कमाया था , तो उस पैसे को लेकर डॉक्टर के पास गया था दवाई लाने , पर वो पैसा काफी नहीं था । माँ ठीक थी तो उनके साथ मैं भट्टे पर जाया करता था हर शाम को उनकी मदद करने ईंट उठाने में । 😒😒💔💔
टीचर को उसकी आत्मकथा सुनकर उस पर दया आ गई । वो अपने मन में सोचे कि इन दोनों का एक माह का जीतना खर्चा आयेगा , उतना तो हम कभी - कभी एक दिन क्या एक मिनट में ही खर्च कर देते है , वो भी बिना किसी मतलब के ही । तो उससे अच्छा तो इस लड़के में लगाना होगा , इससे इसका भविष्य भी सुधर सकता है । अब से मैं इसे पढ़ाऊंगा और इसका पूरा खर्चा मै उठाऊंगा । आखिर कौन है इस बेचारे का मदद करने वाला । पढ़ने में इतना तेज है कि अगर इसे अच्छा से पढ़ा दिया जाये तो एक दिन ये एक अच्छा और बड़ा आदमी बन जाएगा । अभी ये पढ़ाई छोड़ देगा और ईंट के भट्टे पर और होटल में काम करने लगेगा तो इसका जीवन पूरी तरह से बर्बाद हो जायेगा l ये भी हो सकता है कि समय इसे इतना मजबूर कर दे कि ये कोई गलत काम ही करना शुरू कर दे या ये भी हो सकता है कि ये आगे जाकर हमारे देश के खिलाफ काम करने लगे । यही सब सोच कर वो उससे बोले — बेटा तुम अब से अपनी माँ की दवाई की चिंता मत करो । मैं ला दूंगा और तुम अभी पढ़ाई पर ध्यान दो ... काम करने मत जाया करो कही भी । तुम्हारा और तुम्हारी माँ का खर्चा मैं उठाऊंगा आज से बल्कि अभी से ही । 😊😊
प्रीतम खुश हो गया ये सुनकर की उसके माँ की अब दवाई आ जायेगी और वो फिर पहले के जैसे ठीक हो जायेंगी । तभी प्रीतम को अपनी माँ की बात याद आ गई । वो टीचर से बोला — लेकिन सर मेरी माँ नहीं मानेगी आपके इस बात को । वो कहती है कि हमें अपनी मेहनत की रोटी खानी चाहिए । भगवान ने हमें दो हाथ इसलिए दिए है कि हम काम करे और उससे हम दो वक्त का भोजन कर सके । ना कि किसी के आगे हाथ फैलाने के लिए ।
टिचर मुस्कुरा कर उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोले — बेटा तुम्हारी मां बहुत अच्छा बात कहती है , लेकिन अभी तुम्हारी उम्र काम करने की नहीं , पढ़ाई करने की है । जब तुम पढ़ाई कर के बड़े आदमी बन जाना , तब तुम मुझे मेरा पैसा वापस कर सकते हो , किसी दूसरे की मदद करके , जैसे मैं आज तुम्हारे साथ कर रहा हूं । तुम उसके मुसीबत में उसके ढाल बन के खड़ा हो जाना ।
रही बात तुम्हारे मां की , तो मैं उनसे मिलकर उनको समझा दूंगा । वह तुम्हारे भलाई के लिए यह बात मान जाएगी । अब चलो और तुम अपनी मां से मुझे मिलाओं ।
प्रीतम टीचर के कहने पर अपने साथ घर ले गया और अपनी मां से उनको मिलाया , टीचर ने प्रीतम के माँ को समझाया तो वह मान गई और वो दोनों अपना घर छोड़ कर टीचर के यहां रहने लगे । टीचर के बहुत समझाने पर प्रीतम के पिता पर उसकी माँ ने केस कर दिया । उसके और प्रितम पर अत्याचार करने के लिए , जिससे वह अब जेल में रहता है ।
धीरे-धीरे समय बीत गया । इस बीच प्रीतम ने खूब मन लगाकर पढ़ाई करी थी । कुछ साल बाद प्रीतम आई ए एस ऑफिसर बन गया । अब उसकी मां पहले से बहुत ज्यादा खुश रहने लगी थी और स्वस्थ भी हो गई थी , टीचर अब वृद्ध हो चुके थे । उनके बच्चे विदेश में शादी करके अपना घर बसा लिए , यहां कभी भी नहीं आते थे अपने पिता से मिलने । टीचर की पत्नी का देहांत बहुत साल पहले ही हो चुका था । वो इस दुनियां में बिल्कुल अकेले हो चुके थे , अपनी पत्नी के मरने के बाद और बच्चों को विदेश में रहने से ।
तब उस समय प्रितम और उसकी माँ उनका सहारा बने ।
टीचर एक दिन बाग में बैठे हुए सोच रहे थे — मैंने जिन पर अपनी पूरी जिंदगी न्यौछावर कर दिया । वो आज मुझे देखने और ना ही पूछने आ रहे है । कि मैं कैसा हूं और जिस को मैंने सिर्फ रहने के लिए घर और उसकी पढ़ाई के लिए कुछ पैसे दिये , वो आज मेरा इतना ख्याल रखता है । जैसे की मैं उसका बाप हूँ । मैंने उस समय प्रीतम को अपने घर लाकर बहुत अच्छा किया , नहीं तो आज मैं घुट - घुट कर अपना जीवन जीता ।
टिचर बहुत खुश थे , प्रीतम को अपने घर लाकर और उसे पढ़ा कर बड़ा और अच्छा आदमी बनाने पर ।
प्रीतम और उसकी मां टिचर की देखभाल करते थे और साथ ही साथ प्रीतम लाचार और निसहाय लोगों की मदद करता था । उसने बहुत से बच्चों को गोद ले कर उन्हें पढ़ाता था । जो आनाथ थे या जिसका परिवार उनको पढ़ा लिखा नहीं सकता था ।
एक दिन टिचर और प्रितम बात कर रहे थे । बातों ही बात मे टिचर प्रितम से कहे — बेटा अगर आज तुम ना होते तो मेरा क्या होता , ऐसे ही किसी कोने में सड़ रहा होता , कोई पूछने वाला भी नहीं होता । जो मेरे खून थे वो साथ छोड़ दिये , जिनको पढ़ाने और अच्छी जिंदगी देने के लिए मैंने बहुत से कठिनयों को सहा , वो आज मुझे देखने भी नहीं आते हैं और ना ही फोन कॉल करते है ।
तब प्रितम ने कहां सर आप ऐसा मत कहिए । आप के कारण ही आज मैं यहां हूँ , नहीं तो मैं भी आज किसी भट्टे या होटल मे काम करता और शायद गलत कार्य भी करने लगा होता अधिक पैसो के लिए । आप बहुत अच्छे हो सर । एक ना एक दिन आपके बच्चों को भी ये बात समझ आ ही जायेगी , कि माता - पिता का क्या महत्व होता है और वो अपने पिता को छोड़कर कितनी बडी गलती किये हैं ।
समाप्त
मेरे प्यारे - प्यारे रिडरस पढ़कर बताइये कि ये story कैसी है और आपको कैसी लगी ये story 😊🍫🍫🍫🍫🍫🍫🍫🍫🍫🌷🌺🌟🌸🌷🌺🌟🌸🌷🌺🌟🌸🌷🌺🌟🌸🌷🌺🌟🌸