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" टूट जाओ, पर तुम झुको नहीं "

24 दिसम्बर 2021

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" टूट जाओ, पर तुम झुको नहीं " 


टूट जाओ , पर तुम झुको नहीं 

लगा दाव पर सब , रुको नहीं। 


देख सागर कठिन तुम डरना नहीं 

आज का भास्कर ही अंतिम नहीं। 


सत्ता से रहता है संघर्ष सत्य का 

असत्य कभी भी यहाँ जीता नहीं। 


टूट जाओ , पर तुम झुको नहीं 

लगा दाव पर सब , रुको नहीं। 


बज्र टूटे, पर हिम्मत तो टूटे नहीं 

निहथ्ते भी, शत्रु से तो कम नहीं। 


हर तरफ़ तो हो, चाहे घोर अँधेरा 

तुम्हारा संकल्प,अंगद से कम नहीं। 


टूट जाओ , पर तुम झुको नहीं 

लगा दाव पर सब , रुको नहीं। 


प्राण - पण से तुम करो प्रतिकार 

असत्य के साथ तो समर्पण नहीं। 


उठा भूकम्प विचारों का,टोकना नहीं 

हो रहा अनय, अपने को रोकना नहीं। 


टूट जाओ , पर तुम झुको नहीं 

लगा दाव पर सब , रुको नहीं। 


#राजकुमार इन्द्रेश 

प्रधानाचार्य / साहित्यकार 

जयपुर राजस्थान 


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