उज्ज्वल मल्हावनी
दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक उज्ज्वल मल्हावनी वर्तमान में हिंदी साहित्य के छात्र हैं। महज सात-आठ साल की उम्र में ही प्रतिष्ठित बाल-पत्रिका ‘देवपुत्र’ में इनकी पहली कविता प्रकाशित हुई। उन दिनों इनके माँ-पिताजी, इनके विद्यालय के शिक्षकगण एवं सहपाठियों ने इनके लेखन को बेहद सराहा। तब से लेकर आज तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, वेबसाइटों में इनकी कविताओं, कहानियों एवं लेखों को स्थान मिलता रहा है। ‘शर्मा जी का लड़का’ इनकी पहली किताब है।. जब कभी दोस्त-यारों की महफिलें सजती थीं लोग उज्ज्वल से फरमाइशें करते थे शायरियाँ सुनाने की। एक दिन इस महफ़िल में इन्होंने शायरी की जगह अपनी लिखी कोई कहानी सुना दी, पता नहीं उस कहानी में क्या जादू था कि लोग तारीफ करते नहीं थके। और उस दिन के बाद से दोस्तों की हर बैठक में ही इनसे कहानियों की डिमांड होने लगी। अब आलम यह है कि लोग भूल ही चुके हैं कि जनाब कभी शायर भी थे। लोग तो अब उन्हें एक कहानीकार के रूप में ही जानते हैं। ईमेल : ujjwalg55@gmail.com
शर्मा जी का लड़का
आप डिस्क्रिप्शन बॉक्स में पढ़कर अंदाजा लगाना चाह रहे हैं कि उज्ज्वल मल्हावनी नाम के इस विचित्र लेखक ने ‘शर्मा जी का लड़का’ जैसे अटपटे शीर्षक के साथ जाने क्या लिख दिया है जिसे पढ़ने का आग्रह किया जा रहा है। दरअसल प्रेम, इश्क़, प्यार, मोहब्बत, और भी तरह-तर
शर्मा जी का लड़का
आप डिस्क्रिप्शन बॉक्स में पढ़कर अंदाजा लगाना चाह रहे हैं कि उज्ज्वल मल्हावनी नाम के इस विचित्र लेखक ने ‘शर्मा जी का लड़का’ जैसे अटपटे शीर्षक के साथ जाने क्या लिख दिया है जिसे पढ़ने का आग्रह किया जा रहा है। दरअसल प्रेम, इश्क़, प्यार, मोहब्बत, और भी तरह-तर