आप डिस्क्रिप्शन बॉक्स में पढ़कर अंदाजा लगाना चाह रहे हैं कि उज्ज्वल मल्हावनी नाम के इस विचित्र लेखक ने ‘शर्मा जी का लड़का’ जैसे अटपटे शीर्षक के साथ जाने क्या लिख दिया है जिसे पढ़ने का आग्रह किया जा रहा है। दरअसल प्रेम, इश्क़, प्यार, मोहब्बत, और भी तरह-तरह के नामों से पुकारे जाने वाले इस रोग के बारे में अथाह लिखा जा चुका है, जिन्हें पढ़ने वाला इंसान उन किताबों को पढ़ने के बाद एक रोगी बनकर बाहर निकलता है। ‘शर्मा जी का लड़का’ ऐसे ही रोगियों की दवा है। इस किताब में न सिर्फ आशिकी वाला लाल रंग है बल्कि जीवन के विविध रंग भी हैं। संग्रह की हर कहानी हिंदी साहित्य में वर्तमान लेखन की बँधी हुई परिपाटी तोड़कर अपना रास्ता बनाना चाहती है और यह आपके साथ से ही संभव है।
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