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ummeed

29 जनवरी 2015

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गम के पास तलवार मैं उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ..! ऐ जिंदगी तेरी हर चाल के लिए मैं एक चाल लिए बैठा हूँ..!! लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख - मिचोली का..! मिलेगी कामयाबी हौसला कमाल लिए बैठा हूँ..!! चल मान लिया दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक..! गिरेबान में अपने सुनहरे साल लिए बैठा हूँ..!! ये गहराइयाँ, ये लहरें, ये तूफाँ, तुम्हे मुबारक..! मुझे क्या फिक्र मैं कश्ती बेमिसाल लिए बैठा हूँ...!

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