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- मुण्डक उपनिषद से (कविता के रूप में संछिप्त )

21 जुलाई 2016

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गुरुवर अत्यंत विनत भाव से 

पूछता हूँ एक प्रश्न आपसे 

ज्ञान कौन सा है कहिये मुझसे

समस्त विश्व जान लूँ जिससे।

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ओम ,परम पूज्यनीय आप हमारे  

 करते हैं प्रार्थना मिल हम सारे 

कान सुने हमारे जो शुभ हो

 देखें नेत्र वही जो शुभ हो

 यज्ञादि कर्म हमारे शुभ हों 

 दक्ष बनें,अंग-प्रत्यंग पुष्ट हों

जीवन अवधि योग पूर्ण हो

देव सभी तेज़ बुद्धि बलदायक हों 

सबके प्रति कल्याण भाव हो। 

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निः सीमिता के अनंत तट पर सर्वत्र 

यह संसार तो है एक कण मात्र। 

तो करो जरा ठीक से विचार 

कहाँ टिकता है "स्व" का सार। 

जन्म-मृत्यु,प्रकाश-अन्धकार 

दिन-रात,सत-असत का गुबार।

 

उत्कट द्वैध,जो अंशतः दृष्टिगोचर मात्र 

अंततः तिरोहित होता अक्षय ब्रह्म पात्र। 

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परमात्मा तो है सनातन,शुद्ध 

अंतर,बाह्य,सर्वत्र व्याप्त,बुद्ध। 

जीवन-मृत्यु दोनों से परे  

साकार-निराकार कौन भेद करे। 

असंख्य ब्रह्माण्ड उदरस्थ उसके 

निमिष में जन्म लेते,मरके। 

स्वांस-प्रच्छवास,इंद्री-मन हमारे 

पंच-तत्व के गुण विभाग सारे। 

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रचनाएँ
astrokavitarkesh
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यह ब्लॉग जोतिष,अध्यात्म,साहित्य को समर्पित है.
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संभाले कमान युवा हिन्दुस्तान

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करालं महाकाल कालं कृपालं ( यात्रा वृतांत ,उज्जैन महाकाल बाबा )

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मुहूर्त का अर्थ है सही समय का चुनाव। किसी समय-विशेष में किया गया कोई कार्य शीघ्र सफल होता है तो कोई कार्य तरह-तरह के विघ्नों के कारण पूरा ही नहीं हो पाता! यहाँ प्रस्तुत है सही मुहूर्त चुनने की सरल विधि ----------------व्यक्ति की कुंडली यह जानकारी देती है कि व्यक्ति अपने पूर्व जन्मों के कर्म के कारण

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कुरान की आयत का हर हर्फ़ रक्तरंजित हो गया अल्लाह जाने ये कौन सा अज़ब धर्म हो गया।

6 जुलाई 2016
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सावन के बादलों की तरह हम भी

11 जुलाई 2016
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सावन के बादल उमड़ -घुमड़ इतनी करते

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सावन के बादल उमड़ -घुमड़ इतनी करते मन-मयूर नाच उठता कदम हैं थिरकते। धरती का आंचल हर दिशा हरा-भरा कर देते।  कृषक,साहुकार,जन-सामान्य फलते-फूलते। नदी,तालाब,सिंधु,पोखर सब उमगते जीव-जंतु खुशहाल विचरते दिखते। बाल-वृन्द,नौजवान वृद्ध सब विहसते अपनी-अपनी तरह से खूब आनंद लेते। प्रकृति के रंग क्या अदभुत नित सवंर

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- मुण्डक उपनिषद से (कविता के रूप में संछिप्त )

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साईं कृपा का सच्चा विशिष्ट अनुभव एक भक्त के साथ (काव्य रूप में )

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साईं कृपा का सच्चा विशिष्ट अनुभव एक भक्त के साथ (काव्य रूप में )मेरे एक आत्मीय को हुए इस लंबे अनुभव को संक्षिप्त में काव्य रूप में मैंने बस लिखा है।एक विशेष बात उसके साथ ये भी है की वो ध्यान करता तो साई का है पर उसे दर्शन यदा -कदा महाराज (नींबकरोली जी) का होताहै। सूर्योदय से बहुत सबेरे उठा आज में जब

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आओ चलो अब हम मरने चलें,जीवन में अपने कुछ करने चलें।

29 जुलाई 2016
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आओ चलो अब हम मरने चलें,जीवन में अपने कुछ करने चलें। हर तरफ भ्रष्टाचार का बोलबाला ,हर घडी घटनाओं का अम्बर काला। बलात्कार,खून,रंजिश,डकैती ;दुश्मन ही नहीं अब भाइयों में भी होती। नेताओं में ईमान था भला कहाँ;कहो पहले भी कब सहज-सुलभ रहा। अब तो वो नंगई में उतारू हो रहे;सत्ता की खातिर सारे कुकर्म कर रहे। यह

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ढाई आखर प्रेम का

4 अगस्त 2016
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वेद,पुराण,उपनिषद जैसे सब ग्रंथों का सार। शिव-मानस सदा रहा है,इनका शुभ आगार।।जगद्गुरु ने उसी तत्व का,लेकर फिर आधार। रचा राम का निर्मल विस्तृत चरित अपार।।शिवशंकर के वरद हस्त का पाकर आशीर्वाद। किया श्रवण "तुलसी" ने उर में रामकथा संवाद।।भाव समाधि में किया फिर,झूम-झूम कर गान। रामचरितमानस से उपजा,जन-जन का

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