सावन के बादल उमड़ -घुमड़ इतनी करते
मन-मयूर नाच उठता कदम हैं थिरकते।
धरती का आंचल हर दिशा हरा-भरा कर देते।
कृषक,साहुकार,जन-सामान्य फलते-फूलते।
नदी,तालाब,सिंधु,पोखर सब उमगते
जीव-जंतु खुशहाल विचरते दिखते।
बाल-वृन्द,नौजवान वृद्ध सब विहसते
अपनी-अपनी तरह से खूब आनंद लेते।
प्रकृति के रंग क्या अदभुत नित सवंरते
आकाश चित्रपट जब प्रभु तूलिका चलाते।