shabd-logo

किस मुहूर्त में करें कौन-सा काम ( ज्योतिष के कुछ सरल नियमों से कार्य सफलता )

5 जुलाई 2016

2009 बार देखा गया 2009

article-image


article-image

मुहूर्त का अर्थ है सही समय का चुनाव। किसी समय-विशेष में किया गया कोई कार्य शीघ्र सफल होता है तो कोई कार्य तरह-तरह के विघ्नों के कारण पूरा ही नहीं हो पाता! यहाँ प्रस्तुत है सही मुहूर्त चुनने की सरल विधि ----------------

व्यक्ति की कुंडली यह जानकारी देती है कि व्यक्ति अपने पूर्व जन्मों के कर्म के कारण वर्तमान जन्म में क्या कुछ भोग सकता है या यों कहें कि व्यक्ति शारीरिक, बौद्धिक, भौतिक या आध्यात्मिक क्षेत्र में कितनी ऊँचाई तक उठ सकता है।

मुहूर्त के सही समय के चुनाव द्वारा व्यक्ति अपने द्वारा भोगे जाने वाले

कर्मफल को उचित दिशा में प्रवाहमान कर सकता है। मुहूर्त सही समय के चुनाव द्वारा यह तो संभव नहीं है कि आप हर क्षेत्र में अधिकतम सुखदायक स्थिति को प्राप्त करें क्योंकि व्यक्ति को कुल मिलाकर कितनी दूरी या ऊँचाई प्राप्त करनी है या तो कुंडली या जन्म समय की ग्रहों की स्थिति द्वारा भली-भांति आंकलित किया जा सकता है तथापि जो कुछ भी आपकी कुंडली में है, उसे अधिकतम किस रूप में किस प्रकार के सही समय चुनाव द्वारा प्राप्त किया जा सकता है, मुहूर्त उसे इंगित करता है।

यदि हम किसी कुंडली में देखें कि व्यक्ति विशेष को ‘संतानसुख’ की संभावना न्यूनतम है तो मुहूर्त इस दिशा में हमारी कुछ हद तक सहायता अवश्य कर सकता है। पहले तो उस व्यक्ति हेतु उपयुक्त

स्त्री का चुनाव करना होगा, जिसका संतान भाव प्रबल योगकारक हो, दूसरा, विवाह मुहूर्त भी ऐसा हो जब संतानोत्पत्ति के कारण ग्रह अपनी शुभतादायक रश्मियां बिखेर रहे हों। इसी प्रकार से अन्य क्षेत्रों में भी मुहूर्त का चुनाव करके संबंधित भाव, ग्रह को सबल रखते हुए ऋणात्मक भावों को बौना बना देने का सफल प्रयास किया जा सकता है।

ज्योतिष में मुहूर्त का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत है और इस विषय पर अनेक स्वतंत्र ग्रंथों का निर्माण हुआहै। सही मुहूर्त के चुनाव में अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है क्योंकि हमें अपने कार्य एक

निश्चित सीमावधि में पूर्ण करने होते हैं और उस समय सभी बातें हमारे मनोनुकूल नहीं हो सकतीं।

मान लें कि हमें बृहृस्पति मेष राशि में चाहिए और वह मीन में भ्रमण कर रहा है तो उसके लिए हमें लगभग एक वर्ष रूकना होगा। कभी किसी कार्य को तो इतना रोका जा सकता है किंतु कुछ कार्यों में शीघ्रता अनिवार्य होती है अतः वहां कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ही ध्यान देकर ‘अधिकतम शुभ समय’ का चुनाव मजबूरी होती है।

मुहूर्त के चुनाव में पंचांग की भूमिका सर्वोपरि होती है। ये पांच अंग हैं: 

1. तिथि (चंद्र दिन), 2. वार(सप्ताह का दिन जैसे सोमवार आदि), 3. नक्षत्र (तत्कालीन व जन्म नक्षत्र भी), 4. योग (चंद्र + सूर्य दिन), 5. करण (तिथि का आधा दिन)।

उपरोक्त पांच अंगों में भी तिथि नक्षत्र और वार विशेष महत्व के हैं।

मुहूर्त, जैसा कि पूर्व में कहा गया है, का सही चुनाव व्यापक अध्ययन चाहता है और निष्णात हाथों से ही यह सही रूप में प्रकट होता है। अतः यहां सामान्य जन की जानकारी के लिए उपयोगी ‘मुहूर्त’ के चुनाव की ही चर्चा उपयुक्त होगी।मुहूर्त में नक्षत्र का स्थान सबसे ऊपर है अतः सर्वप्रथम थोड़ी चर्चा नक्षत्रों के स्वभाव या प्रकृति पर:

अश्विनी, पुष्य, हस्त (अभिजित भी): नर्म नक्षत्र हैं। इनका चुनाव मनोरंजन के कार्य में, आभूषणों के धारण करने में, दवा के देने, औद्योगिक प्रतिष्ठानों के खोलने, खेल व यात्रा में उपयुक्त होता है।

भरणी, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभद्रा मघा: भयानक नक्षत्र हैं। इनका धोखेबाजी, जेल, अग्नि,घृणित कर्मों से संबंधित है।

कृतिका, विशाखा: मिश्रित नक्षत्र हैं और इनमें दैनिन्दन कार्यों को किया जा सकता है।

रोहणी, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तरभाद्रपद: स्थिर नक्षत्र हैं अतः इनका चुनाव ऐसे कार्यों में उपयुक्त होगा जहां लंबे समय तक की स्थिरता को महत्ता देनी है।

चित्रा, अनुराधा, मृगशिरा, रेवती: नर्म नक्षत्र हैं, जिनका चुनाव नृत्य, संगीत, अर्थात कला की शिक्षा लेते समय, शारीरिक संबंध बनाते समय, महत्वपूर्ण कार्यों में, नये परिधान पहनते समय, साज-सज्जा में उपयोगी होता है।

मूल, ज्येष्ठ, आद्र्रा, अश्लेषा: तीखे नक्षत्र हैं। इनका चुनाव, जादू-टोने, दुष्कर्म करने, युद्ध/सेना आदि में भरती या लड़ाई आदि के साज-सामान खरीदने या उनकी शिक्षा लेने में किया जा सकता है।

श्रावण, घनिष्ठा, शतभिषा, पुनवर्सू, स्वाति: चर नक्षत्र हैं अतः इनका उपयोग वाहनों की खरीद फरोख्त में, बागवानी आदि में उपयुक्त होता है।

घनिष्ठा के तीसरे चरण से रेवती के अंतिम चरण तक का समय ‘नक्षत्र पंचक’ के नाम से जाना जाता है  और इसमें विशेष महत्व के कार्यों को करने से बचा जाना चाहिए।

दैनिक कार्यों में कुछ जो छोटे-मोटे महत्व के कार्य होते हैं उनमें निम्नलिखित विधि का प्रयोग करने में सफलता पायी जा सकती है:

जन्म नक्षत्र से जिस समय कार्य किया जाना हो उस समय का नक्षत्र गिनकर नौ (9) से भाग दें।यदि भाग जाता है तो ठीक है अन्यथा वैसे ही रहने दें। यदि भाग देने पर शेष एक... आदि बचता है तो निम्न फल होने चाहिए:

1. शरीर को कष्ट, 2. धन व समृद्धि, 3. भय, हानि, 4. धन व समृद्धि, 5. बाधाएं, 6. मनोकामना पूर्ति, 7.भय, कष्ट 8. शुभ, 9. परम शुभ।

चंद्रमा का महत्व

मुहूर्त में चंद्रमा की स्थिति को विशेष स्थान मिलता है अतः मुहूर्त के समय चंद्रमा की स्थिति शुभ होनी चाहिए। जन्मकालीन चंद्रमा और तत्कालीन चंद्रमा परस्पर 8, 12 स्थानों में विशेष रूप से नहीं होने

चाहिए। जैसे यदि किसी कि जन्मराशि वृश्चिक है तो उसे उन दिनों का त्याग करना होगा जब चंद्रमा मिथुन राशि (8-अष्टम) में या तुला राशि (12-द्वादश) में भ्रमण कर रहा होगा।

विशेष महत्व के कार्यों में ‘पंचक’ का उपयोग फलदायी होता है और इसके द्वारा अनुकूल समय को भली प्रकार से रेखांकित किया जा सकता है। यों तो इसकी कई विधियां हैं तथापि एक सहज विधि निम्न है:

1. तिथि (जो भी उस समय विशेष पर हो)

2. वार (रविवार को यहां 1 से, सोमवार को 2 से... आदि प्रदर्शित करते हैं।)

3. नक्षत्र (जिसकी गणना अश्विनी से होती है।)

4. लग्न (समय विशेष पर जो भी लग्न उदय हो रहा हो जैसे मेष-1, वृष-2, इनका सबका योग कर नौ (9) से भाग देने पर एकादि शेष में निम्न फल होते हैं:

1. भय, कष्ट 2. आग से भय, 4. अशुभ फल, 6. दुष्परिणाम, 8 रोग। शेष 3, 5, 7 या 0 हो तो यह शुभ परिणामदायी होगा।

उदाहरण: मान लें कोई व्यक्ति अश्विनी नक्षत्र, (द्वितीया तिथि बुधवार (=4) को कन्या लग्न के मध्य महत्वपूर्ण कार्य करना चाहता है तो -

नक्षत्र संख्या अश्वनि 1

तिथि द्वितीया 2

वार बुधवार 4

लग्न कन्या 6

कुल योग 13

इसमें नौ (9) का भाग देने पर शेष बचा-4। चार शेष का अर्थ है - अशुभ फल। अतः व्यक्ति को इस समय को छोड़ अन्य शुभ समय का चुनाव करना चाहिए।

13
रचनाएँ
astrokavitarkesh
0.0
यह ब्लॉग जोतिष,अध्यात्म,साहित्य को समर्पित है.
1

संभाले कमान युवा हिन्दुस्तान

1 जुलाई 2016
0
4
0
2

करालं महाकाल कालं कृपालं ( यात्रा वृतांत ,उज्जैन महाकाल बाबा )

4 जुलाई 2016
0
1
0
3

किस मुहूर्त में करें कौन-सा काम ( ज्योतिष के कुछ सरल नियमों से कार्य सफलता )

5 जुलाई 2016
0
2
1

मुहूर्त का अर्थ है सही समय का चुनाव। किसी समय-विशेष में किया गया कोई कार्य शीघ्र सफल होता है तो कोई कार्य तरह-तरह के विघ्नों के कारण पूरा ही नहीं हो पाता! यहाँ प्रस्तुत है सही मुहूर्त चुनने की सरल विधि ----------------व्यक्ति की कुंडली यह जानकारी देती है कि व्यक्ति अपने पूर्व जन्मों के कर्म के कारण

4

कुरान की आयत का हर हर्फ़ रक्तरंजित हो गया अल्लाह जाने ये कौन सा अज़ब धर्म हो गया।

6 जुलाई 2016
0
2
0

कुरान की आयत का हर हर्फ़  रक्तरंजित हो गया अल्लाह जाने ये कौन सा अज़ब धर्म हो गया। दुनिया में जहाँ कहीं देखो बस यही चीख-पुकार अमन,प्यार, आशनाई का सरेआम क़त्ल हो गया। रमज़ान का पाक महीना ज़ालिमाना हो गया इबादतगाह में सज़दा भी अब तो हराम हो गया। फ़राज़ तेरे सिवा ये आशनाई कौन समझ सका जाते-जाते भी तू बेधर्मों क

5

सावन के बादलों की तरह हम भी

11 जुलाई 2016
0
0
0

सावन के बादलों की तरह हम भी कहीं उमड़-घुमड़ बस बरस पड़ें। उत्तर,दक्षिण ,पूरब,पश्चिम कहीं भी आओ किसी दिशा हम निकल पड़ें। खेत,खलियानों,मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारा जगह-जगह पर,मोड़-मोड़ पर बरस पड़ें। अमीर-गरीब,जात-पाँत से बंधन मुक्त गली,मुहल्लों के हर रस्ते गुजर पड़ें। काम करें कुछ ऐसा अपने जीवन में सुख,शांति स्वर

6

सावन के बादल उमड़ -घुमड़ इतनी करते

12 जुलाई 2016
0
0
0

सावन के बादल उमड़ -घुमड़ इतनी करते मन-मयूर नाच उठता कदम हैं थिरकते। धरती का आंचल हर दिशा हरा-भरा कर देते।  कृषक,साहुकार,जन-सामान्य फलते-फूलते। नदी,तालाब,सिंधु,पोखर सब उमगते जीव-जंतु खुशहाल विचरते दिखते। बाल-वृन्द,नौजवान वृद्ध सब विहसते अपनी-अपनी तरह से खूब आनंद लेते। प्रकृति के रंग क्या अदभुत नित सवंर

7

- मुण्डक उपनिषद से (कविता के रूप में संछिप्त )

21 जुलाई 2016
0
0
0

गुरुवर अत्यंत विनत भाव से पूछता हूँ एक प्रश्न आपसे ज्ञान कौन सा है कहिये मुझसेसमस्त विश्व जान लूँ जिससे।  ओम ,परम पूज्यनीय आप हमारे   करते हैं प्रार्थना मिल हम सारे कान सुने हमारे जो शुभ हो देखें नेत्र वही जो शुभ हो यज्ञादि कर्म हमारे शुभ हों  दक्ष बनें,अंग-प्रत्यंग पुष्ट होंजीवन अवधि योग पूर्ण होदे

8

घन घमंड नव गरजत घोरा

27 जुलाई 2016
0
0
0
9

मोबाइल दोहे (हास्य-व्यंग)

27 जुलाई 2016
0
1
1

 मोबाइल का प्रचलन बढ़ा,जबसे चारों ओरसुबह-शाम बस बातों में,रहता सबका जोर।बैटरी ख़त्म को हो होती,प्राण कंठ को आते  मिल जाए खाली सॉकेट,चेहरे हैं खिल जाते।कहना ना कहना सब,जोर-जोर चिल्लानामोटरसायकल,कार चलाते भाता बड़ा बतियाना।अब जब से स्मार्टफोन,घर-घर है जा पहुंचाफेसबुक,ट्विटर ही लगता,सबको अपना बच्चा।सुबह-स

10

साईं कृपा का सच्चा विशिष्ट अनुभव एक भक्त के साथ (काव्य रूप में )

29 जुलाई 2016
0
0
1

साईं कृपा का सच्चा विशिष्ट अनुभव एक भक्त के साथ (काव्य रूप में )मेरे एक आत्मीय को हुए इस लंबे अनुभव को संक्षिप्त में काव्य रूप में मैंने बस लिखा है।एक विशेष बात उसके साथ ये भी है की वो ध्यान करता तो साई का है पर उसे दर्शन यदा -कदा महाराज (नींबकरोली जी) का होताहै। सूर्योदय से बहुत सबेरे उठा आज में जब

11

आओ चलो अब हम मरने चलें,जीवन में अपने कुछ करने चलें।

29 जुलाई 2016
0
1
0

आओ चलो अब हम मरने चलें,जीवन में अपने कुछ करने चलें। हर तरफ भ्रष्टाचार का बोलबाला ,हर घडी घटनाओं का अम्बर काला। बलात्कार,खून,रंजिश,डकैती ;दुश्मन ही नहीं अब भाइयों में भी होती। नेताओं में ईमान था भला कहाँ;कहो पहले भी कब सहज-सुलभ रहा। अब तो वो नंगई में उतारू हो रहे;सत्ता की खातिर सारे कुकर्म कर रहे। यह

12

ढाई आखर प्रेम का

4 अगस्त 2016
0
0
0
13

संत प्रवर तुलसीदास - श्रद्धा सुमन

10 अगस्त 2016
0
1
0

वेद,पुराण,उपनिषद जैसे सब ग्रंथों का सार। शिव-मानस सदा रहा है,इनका शुभ आगार।।जगद्गुरु ने उसी तत्व का,लेकर फिर आधार। रचा राम का निर्मल विस्तृत चरित अपार।।शिवशंकर के वरद हस्त का पाकर आशीर्वाद। किया श्रवण "तुलसी" ने उर में रामकथा संवाद।।भाव समाधि में किया फिर,झूम-झूम कर गान। रामचरितमानस से उपजा,जन-जन का

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए