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संत प्रवर तुलसीदास - श्रद्धा सुमन

10 अगस्त 2016

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वेद,पुराण,उपनिषद जैसे सब ग्रंथों का सार। 

शिव-मानस सदा रहा है,इनका शुभ आगार।।

जगद्गुरु ने उसी तत्व का,लेकर फिर आधार। 

रचा राम का निर्मल विस्तृत चरित अपार।।

शिवशंकर के वरद हस्त का पाकर आशीर्वाद। 

किया श्रवण "तुलसी" ने उर में रामकथा संवाद।।

भाव समाधि में किया फिर,झूम-झूम कर गान। 

रामचरितमानस  से उपजा,जन-जन का कल्यान।।

मंत्रबद्ध है रचना सारी,सबका है ऐसा विश्वास। 

पढना,सुनना भरता अंतरमन में बड़ी मिठास।।

राम नाम के भक्त अनूठे,संत सरल तुम जग विख्यात।

भक्ति देकर सिय-राम की "नलिनदास" को करो सनात।। 


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रचनाएँ
astrokavitarkesh
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यह ब्लॉग जोतिष,अध्यात्म,साहित्य को समर्पित है.
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संभाले कमान युवा हिन्दुस्तान

1 जुलाई 2016
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करालं महाकाल कालं कृपालं ( यात्रा वृतांत ,उज्जैन महाकाल बाबा )

4 जुलाई 2016
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किस मुहूर्त में करें कौन-सा काम ( ज्योतिष के कुछ सरल नियमों से कार्य सफलता )

5 जुलाई 2016
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मुहूर्त का अर्थ है सही समय का चुनाव। किसी समय-विशेष में किया गया कोई कार्य शीघ्र सफल होता है तो कोई कार्य तरह-तरह के विघ्नों के कारण पूरा ही नहीं हो पाता! यहाँ प्रस्तुत है सही मुहूर्त चुनने की सरल विधि ----------------व्यक्ति की कुंडली यह जानकारी देती है कि व्यक्ति अपने पूर्व जन्मों के कर्म के कारण

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कुरान की आयत का हर हर्फ़ रक्तरंजित हो गया अल्लाह जाने ये कौन सा अज़ब धर्म हो गया।

6 जुलाई 2016
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कुरान की आयत का हर हर्फ़  रक्तरंजित हो गया अल्लाह जाने ये कौन सा अज़ब धर्म हो गया। दुनिया में जहाँ कहीं देखो बस यही चीख-पुकार अमन,प्यार, आशनाई का सरेआम क़त्ल हो गया। रमज़ान का पाक महीना ज़ालिमाना हो गया इबादतगाह में सज़दा भी अब तो हराम हो गया। फ़राज़ तेरे सिवा ये आशनाई कौन समझ सका जाते-जाते भी तू बेधर्मों क

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सावन के बादलों की तरह हम भी

11 जुलाई 2016
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सावन के बादलों की तरह हम भी कहीं उमड़-घुमड़ बस बरस पड़ें। उत्तर,दक्षिण ,पूरब,पश्चिम कहीं भी आओ किसी दिशा हम निकल पड़ें। खेत,खलियानों,मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारा जगह-जगह पर,मोड़-मोड़ पर बरस पड़ें। अमीर-गरीब,जात-पाँत से बंधन मुक्त गली,मुहल्लों के हर रस्ते गुजर पड़ें। काम करें कुछ ऐसा अपने जीवन में सुख,शांति स्वर

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सावन के बादल उमड़ -घुमड़ इतनी करते

12 जुलाई 2016
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सावन के बादल उमड़ -घुमड़ इतनी करते मन-मयूर नाच उठता कदम हैं थिरकते। धरती का आंचल हर दिशा हरा-भरा कर देते।  कृषक,साहुकार,जन-सामान्य फलते-फूलते। नदी,तालाब,सिंधु,पोखर सब उमगते जीव-जंतु खुशहाल विचरते दिखते। बाल-वृन्द,नौजवान वृद्ध सब विहसते अपनी-अपनी तरह से खूब आनंद लेते। प्रकृति के रंग क्या अदभुत नित सवंर

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- मुण्डक उपनिषद से (कविता के रूप में संछिप्त )

21 जुलाई 2016
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गुरुवर अत्यंत विनत भाव से पूछता हूँ एक प्रश्न आपसे ज्ञान कौन सा है कहिये मुझसेसमस्त विश्व जान लूँ जिससे।  ओम ,परम पूज्यनीय आप हमारे   करते हैं प्रार्थना मिल हम सारे कान सुने हमारे जो शुभ हो देखें नेत्र वही जो शुभ हो यज्ञादि कर्म हमारे शुभ हों  दक्ष बनें,अंग-प्रत्यंग पुष्ट होंजीवन अवधि योग पूर्ण होदे

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घन घमंड नव गरजत घोरा

27 जुलाई 2016
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मोबाइल दोहे (हास्य-व्यंग)

27 जुलाई 2016
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 मोबाइल का प्रचलन बढ़ा,जबसे चारों ओरसुबह-शाम बस बातों में,रहता सबका जोर।बैटरी ख़त्म को हो होती,प्राण कंठ को आते  मिल जाए खाली सॉकेट,चेहरे हैं खिल जाते।कहना ना कहना सब,जोर-जोर चिल्लानामोटरसायकल,कार चलाते भाता बड़ा बतियाना।अब जब से स्मार्टफोन,घर-घर है जा पहुंचाफेसबुक,ट्विटर ही लगता,सबको अपना बच्चा।सुबह-स

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साईं कृपा का सच्चा विशिष्ट अनुभव एक भक्त के साथ (काव्य रूप में )

29 जुलाई 2016
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साईं कृपा का सच्चा विशिष्ट अनुभव एक भक्त के साथ (काव्य रूप में )मेरे एक आत्मीय को हुए इस लंबे अनुभव को संक्षिप्त में काव्य रूप में मैंने बस लिखा है।एक विशेष बात उसके साथ ये भी है की वो ध्यान करता तो साई का है पर उसे दर्शन यदा -कदा महाराज (नींबकरोली जी) का होताहै। सूर्योदय से बहुत सबेरे उठा आज में जब

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आओ चलो अब हम मरने चलें,जीवन में अपने कुछ करने चलें।

29 जुलाई 2016
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आओ चलो अब हम मरने चलें,जीवन में अपने कुछ करने चलें। हर तरफ भ्रष्टाचार का बोलबाला ,हर घडी घटनाओं का अम्बर काला। बलात्कार,खून,रंजिश,डकैती ;दुश्मन ही नहीं अब भाइयों में भी होती। नेताओं में ईमान था भला कहाँ;कहो पहले भी कब सहज-सुलभ रहा। अब तो वो नंगई में उतारू हो रहे;सत्ता की खातिर सारे कुकर्म कर रहे। यह

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ढाई आखर प्रेम का

4 अगस्त 2016
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संत प्रवर तुलसीदास - श्रद्धा सुमन

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