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उठे हाथ

2 जून 2018

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तुमसा खूबसूरत इस जहां में कहाँ ,

मोहब्बत कर खुद से ,

ऐ खुदा क बन्दे ,

ऐसे जैसे बेइन्तिहा |


तराशा होगा तुझे भी ,

अपने नर्म हाथों से उसने ,

शुक्र कर तू नहीं है बेज़ुबाँ ,

दीखता है ,सुनता है तुझे भी ये जहां |


शिकायत न कर,

अपने जिस्म के हर एक दर्द पर ,

खुशनसीब है तू जो चलता है आगे,

और पीछे छुटत है तेरे निशाँ |


कभी तो उठा ले अपने नर्म हाथो को,

दुआ की फितरत कभी तो रख,

ज़माना कहेगा खुद तुझे आगे आकर,

तेरी ख़ूबसूरती है जन्नंत की हया |


मोहोब्बत कर खुद से ,

ऐ खुदा के बन्दे,

ऐसे जैसे बेइंतेहा ||

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