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तुमसा खूबसूरत इस जहां में कहाँ ,मोहब्बत कर खुद से ,ऐ खुदा क बन्दे ,ऐसे जैसे बेइन्तिहा |तराशा होगा तुझे भी ,अपने नर्म हाथों से उसने ,शुक्र कर तू नहीं है बेज़ुबाँ ,दीखता है ,सुनता है तुझे भी ये जहां | शिकायत न कर,अपने जिस्म के हर एक दर्द पर ,
भयानक साय है ,जिनके न चेहरे हैं , न नाम हैं | जला दिया लोगों को ,ज़िंदा लोगों को, या खुदा!ज़िंदा दिलों की नाज़ुक सी डोर थी, मज़हब की ज़ोर ने इसे भी तोर दिया| सब भाग रहे थे, सब चीख रहे थे, लोग दर्दनाक मारे गए मुर्दा के बीच में भी