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वैकल्पिक चिकित्सा

9 जून 2022

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 वैकल्पिक चिकित्सा 

  


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पश्चिमोन्‍मुखी विचारधारा के अंधानुकरण ने कई जनोपयोगी, उपचार वि़द्यओं को अहत ही नही किया बल्‍की उनके अस्तित्‍व को भी खतरे में डाल रखा है ।

आज की मुख्‍यधारा से जुडी ऐलोपैथिक चिकित्‍सा जहॉ एक व्‍यवसाय का रूप धारण करती जा रही है, वही यह महगी चिकित्‍सा  मध्‍यम एंव गरीब व्‍यक्तियों की पहुंच से दूर होती जा रही है ।  उपचार के इस व्‍यवसायीक भ्रमं जाल ने मुख्‍य चिकित्‍सा (अग्रेजी) पद्धतियों पर कई सन्‍देहात्‍मक प्रश्‍नों को रेखांकित किया है, परन्‍तु इस चिकित्‍सा पद्धति ने अपने नये नये अनुसंधान नई खोज से अनगिनित मरीजों की जान बचाई है, इस बात को कहने में भी कोई सन्‍देह नही है कि रोग की कई जटिल व विषम परस्थितियों में इसने रोगीयों को एक नया जीवन दान दिया है, परन्‍तु आज के इस व्‍यवसायिकरण के दौर में यह चिकित्‍सा पद्धति अपने चिकित्‍सा जैसे सेवा भाव, पुनित, जनकल्‍याण उदेश्‍यों से भटकती नजर आ रही है । रोग की जटिल व विषम परस्थितियों में यही एक मात्र सहारा है ,इस लिये गलती इस उपचार या पैथी की नही बल्‍की इस पैथी को साधन सम्‍पन्‍न जीवकोपार्जन के लिये इसे व्‍यवसाय के रंगों में रगना गलत है ।

 महॅगे से मंहॅगे परिक्षण अब एक चिकित्‍सकीय आवश्‍यकता बनती जा रही है ,इसके पीछे देखा जाये तो चिकित्‍सक या चिकित्‍सा संस्‍थाओं का स्‍वार्थ अधिक नजर आता है और यह बात मरीज भी समक्षते है परन्‍तु वो खामोश है । अग्रेजी चिकित्सा उपचार प्रक्रियाओं के व्‍यवसायीक प्रतिस्‍पृद्धा की दौड में दवा निर्माता कम्‍पनीयॉ भी पीछे नही है, उनकी व्‍यवसायीक प्रतिस्‍पृद्ध ने सस्‍ती सुलभ औषधियों के मूल्‍यों को दुगना, चौगना ही नही, बल्‍की कई गुना बढा दिया है । आज छोटे से लेकर बडे से बडा डॉ0 जेनरिक दवाये न लिखकर ब्रान्‍डेड दवाये लिखते है उपचार की इन दोनों प्रक्रियाओं का बोझ सीधे मरीज व उसके परिवार पर अनावश्‍यक, आर्थिक भार पडता है । बात रोग परिक्षण की हो या कई गुना मंहगी दवाओं की हो सभी में डॉ0 का कमीशन तैय होता है ।

अब चलते है रोग उपचार के शाल्‍य क्रिया के फैलाये भंवरजाल की तरफ, चिकित्‍सा उपचार का यह भंवरजाल भी किसी जादूगर के भ्रमित इंद्रजाल से कम नही है, कभी कभी जहॉ शाल्‍यक्रिया (अपरेशन) की आवश्‍यकता न हो वहॉ कई चिकित्‍सक शाल्‍यक्रिया हेतु रोगी को विवश कर देते है । बडे बडे चिकित्‍सालयों के बडे से बडे खर्चो की पूर्ति का यह एक माध्‍यम होता है बडे से बडे चिकित्‍सालय अपने अस्‍पतालों के मेनेजमेन्‍ट के खर्च को मरीज के शाल्‍यक्रिया एंव उपचार जैस पैसो के गणित से पूरा करने में नही चूंकते ।

 ये बडे से बडे नामी चिकित्‍सक एंव चिकित्‍सालय अपरेशन या अस्‍पतालों की सुविधा अस्‍पताल में भर्ति, विभिन्‍न उपचारकर्ताओं की सेवायें आदि के नाम पर आर्थिक गणित के गुणा भाग के फार्मूला को पहले से ही तय कर चुके होते है ।

बुनियादी स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को आम जनता तक पहुंचाने में सरकारे विफल ही रही है । इसका सीधा प्रभाव आम जनता भुगत रही है वही शासकीय चिकित्‍सा सेवाओं के प्रति जन सामान्‍य का विश्‍वास कम होते परिणामों ने चि‍कित्‍सा के व्‍यवसायीकरण में अपना मौन योगदान ही नही दिया बल्‍की इसे अपने व्‍यवसायीक भंवारजाल को शासन की ऑखों के सामने फलने फूलने का पूरा पूरा मौका दिया है, यदि शासकीय स्‍कूल व चिकित्‍सालयों में गुणवत्‍ता पूर्ण ,भरोसेमंद सुविधाये मिलती तो प्राईवेट स्‍कूल व प्राईवेट चिकित्‍सालायो के अनावश्‍यक खर्च के लिये जनता को भटकना नही पडता ।

 राजनैतिक दले सत्‍ता की लोलुप्‍ता में कुंभकरण की नीद सो रही है, बुनियादी आवश्‍कताओं का ढांचा चरमाराते हुऐ देख, जनता अंधी, बहरी बने तमाशा देख रही है बडे बडे चिकित्‍सालयों के स्‍टेनिंग आपरेशन कर न्‍यूज चैनलों पर पोले खोली परन्‍तु धीरे धीरे बात आई और गयी ।

 मुख्‍य धारा की चिकित्‍सा पद्धति को छोड कर तथाकथित अन्‍य चिकित्‍सा पद्धतियों को हॉसिये में नही रखा जा सकता, आज मुख्‍यधारा से जुडी चिकित्‍सा पद्धतियों के खर्चीले उपचार से तंग आकर जनता अन्‍य वैकल्पिक चिकित्‍सा पद्धतियों की तरफ भाग रही है ,जिसके आशानुरूप परिणाम भी सामने आ रहे है ।  

 आज के इस व्‍यवसायीक प्रतिस्‍पृद्धा के युग में जहॉ शिक्षा से लेकर स्‍वास्‍थ्‍य जैसी मूल भूत बुनियादी आवश्‍यकतायें व्‍यापार बनती जा रही है । बडा दु:ख होता है जब चिकित्‍सा जैसे पुनित कार्य को बडे बडे चिकित्‍सकों व चिकित्‍सालयों द्वारा धनार्जन का साधन बनाया जाता  है । होम्‍योपैथिक चिकित्‍सा पद्धति सरल होने के साथ सस्‍ती सुलभ एंव सभी की पहूंच तक है । परन्‍तु पश्चिमोन्‍मुखी विचारधारा के अंधानुकरण की वजह से जन सामान्‍य का झुकाव ऐलोपैथिक चिकित्‍सा पर अधिक है । जब तक बडे से बडे परिक्षण व उपचार न हो जाये मरीज को भी तसल्‍ली नही मिलती ।

  डॉ0 सत्‍यम

 होम्‍योपैथिक चिकित्‍सा एक लक्षण विधान उपचार विधि है, इसमें किसी रोग का उपचार न कर लक्षणों (प्रबल मानसिक लक्षण,एंव व्‍यापक लक्षणों) का उपचार किया जाता है इससे बडे से बडे रोगों का निवारण आसानी से हो जाता है, इन्‍ही उदेश्‍यों को ध्‍यान में रखते हुऐ, मेरे पिता डॉ0 कृष्‍ण भूषण सिंह चन्‍देल ने होम्‍योपैथिक के चमत्‍कार पुस्‍तक लिखी थी, जो रोजगार प्रकारश मथुरा से प्रकाशित हुई थी ।

 मेरे कई लेख होम्‍योपैथिक एंव चिकित्‍सा सम्‍बन्धित विभिन्‍न पत्र पत्रिकाओं में कालेज में अध्‍ययन करते समय से ही प्रकाशित होते रहे, मन में लम्‍बे समय यही विचार था कि मै होम्‍योपैथिक के चमत्‍कार भाग-2 पर पुस्‍तक लिखू ताकि होम्‍योपैथिक के चमत्‍कार पुस्‍तक में जो कमी रह गयी थी वह पूरी हो जाये एंव यह पुस्‍तक होम्‍योपैथिक से जुडे सभी के लिये उपयोगी सिद्ध हो सके ।

 होम्‍योपैथिक के चमत्‍कार भाग-2 पुस्‍तक में यह प्रयास किया गया है ताकि पाठक प्रथमदृष्‍या लक्ष्‍णों को देखकर औषधियों का मिलान कर सके (प्रबल मानसिक लक्षण ,एंव व्‍यापक लक्ष्‍ण) , इस उदेश्‍य से हमने किसी भी औषधि के पूर्व संक्षिप्‍त में लक्ष्‍णों को लिखा है, यह उसे औषधियों के रोग लक्ष्‍णों को खोजने में मदद करेगी, परन्‍तु हमारा आगृह है कि चिकित्‍सक प्रमाणित मेटेरिया मेडिका से पुस्‍तक में दी गई औषधीयो का अध्‍ययन गहनतापूर्वक अवश्‍य करे ।

 होम्‍योपैथिक चिकित्‍सा का मूल आधार जीवन शक्ति है जिसे आयुर्वेद में प्राण ऊर्जा चाईनीज चिकित्‍सा में ची अर्थात जीवन ऊर्जा कहते है । होम्‍योपैथिक चिकित्‍सा का मानना है कि रोग पहले जीवन शक्ति को प्रभावित करता है इसके बाद वह भौतिक शरीर में प्रल्‍क्षित होता है, जीवन शक्ति के बारे में हमने इस पुस्‍तक में लिखा है इसलिये इसे बार बार दोहराने की मै आवश्‍यकता नही समक्षता , बडे दु:ख के साथ कहना पडता है कि मेरे साथ होम्‍योपैथिक कालेज से पढने वाले अधिकाश छात्र होम्‍योपैथिक जैसी सरल चिकित्‍सा को छोड कर अन्‍य चिकित्‍सा पद्धतियों की तरफ भाग रहे है जबकि इस रहस्‍यमयी लक्षण विधान चिकित्‍सा पद्धति में कई ऐसे रोगों का उपचार सहजतापूर्वक किया जा सकता है जो आज की मुख्‍यधारा से जुडी चिकित्‍सा पद्धतियॉ नही कर पाती, इसका प्रमुख कारण है हम किसी रोग का उपचार न कर लक्षणों का उपचार करते है , इसलिये कभी कभी औषधियों के ऐसे प्रबल मानसिक व व्‍यापक लक्षण जिनका सीधा प्रभाव जीवन शक्ति पर होता, यह सीधे जीवन शक्ति को सदृष्‍य विधान के अनुसार छेडती है इसका परिणाम जीवन शक्ति प्रबल होकर मूल रोग पर प्रहार करती है इससे भौतिक रोग स्‍वयम ठीक हो जाते है,  


 हमारी संस्‍था स्‍वयंम के संसाधनों द्वारा जन जागरण धमार्थ चिकित्‍सालय मकरोनिया सागर का संचालन इस उद्श्‍य से किया जा रहा है ताकि जरूरतमंद रोगीयों को नि:शुल्‍क उपचार व औषधियॉ उपलब्‍ध हो सके । इस नि:शुल्‍क चिकित्‍सालय के संचालन का विचार इसलिये आया जब हमने देखा कि कई निर्धन, गरीब और ऐसे भी व्‍यक्ति जिनके पास सभी कुछ है परन्‍तु कई परिवारों द्वारा उन्‍ा पर ध्‍यान नही दिया जाता उनमें कई वृद्ध व्‍यक्ति भी थे, इसे देखते हुऐ हमारी संस्‍था ने इस धर्मा‍थ चिकित्‍सालय का शुभारंभ सागर के मकरोनिया क्षेत्र में किया ।

   सर्न्‍दभ गृन्‍थ

 इस पुस्‍तक के अलग अलग अध्‍यायों को हमने शारीरिक रोगों के अनुसार सुविधा हेतु विभाजित किया है, साथ ही होम्‍योपैथिक सिद्धान्‍तानुसार प्रबल लक्षणों को प्रधानता दी गयी है । पुस्‍तक में रोगों का संकलन औषधियों के लक्षण अनुसार कई विद्वान चिकित्‍सकों की प्रमाणित पुस्‍तकों से एंव विभिन्‍न पत्र पत्रिकाओं के विद्वान चिकित्‍सकों के अनुभव लेखों से संकलित किया गया है ताकि पाठकों को एक ही अध्‍याय में सम्‍बन्धित बीमारीयों पर प्रयुक्‍त होने वाली औषधियों की जानकारी आसानी से हो जाये । इसका उदेश्‍य यह है कि एक ही प्रकार के रोगों में कौन कौन सी औषधियॉ उपयोग में लाई जा सकती है , जिन ग्रन्‍थों से व पत्र पत्रिकाओं से यह संकलित किया गया है उनके सर्न्‍दभ निम्‍नानुसार है ।

सर्न्‍दभ गृन्‍थ

1-होम्‍योपैथिक मेटेरिया मेडिका डॉ0 नैश ,डॉ केन्‍ट, डॉ0 सत्‍यवृत्‍त, डॉ0 धोष,

2-बायोकेमिक मेटेरिया मेडिका डॉ0 बोरिक

3-रिपेटरी डॉ0 नैश

4-पत्र पत्रिकायें- होम्‍योगगन, होम्‍योसेवक, होम्‍योर्दपण, चिकित्‍सा जागृति, आदि

  

 लिया गया है ,परन्‍तु इनमें को वैसे तो हमने रोग के

1-कई जगह औषधियों की शक्ति नही लिखी गयी है, उसे होम्‍योपैथिक के सिद्धान्‍तानुसार देना चाहिये । जैसे दशमिक क्रम की 1-एक्‍स से लेकर 30-एक्‍स तक पोटेंसी की दवा एंव 3-सी 30-सी पोटेंसी की दवा को दिन मे तीन बार देना चाहिये, शतमिकक्रम की 1-सी से लेकर 30-सी तक की दवा को दिन में तीन बार देना चाहिये इसी प्रकार 200 शक्ति की दवा को सप्‍ताह में एक बार , 1-एम शक्ति की दवा को 15 दिन में एक बार देना चाहिये । इससे उच्‍च शक्तियों का प्रयोग माह मे एक बार करना चाहिये यह होम्‍योपैथिक की औषधियों को देने का सिद्धान्‍त है । परन्‍तु चिकित्‍सक अपने अनुभवों के हिसाब से औषधियों को दे सकते है ।

2-औषधियों को बार बार एंव जल्‍दी जल्‍दी नही बदलना चाहिये । औषधियॉ देने के बाद यदि लाभ हो रहा है तो प्रतीक्षा करना चाहिये की रोग का आक्रमण कितने अंतराल से होता है इससे औषधि की आगे की पोटेंसी का रास्‍ता साफ हो जाता है ।

3-रोगी के लक्षणों का निर्वाचन करते समय सर्वप्रथम मानसिक लक्षणो को ध्‍यान में रख औषधियों का निर्वाचन करना चाहिये इसके बाद व्‍यापक लक्षणों को फिर रोग कि स्थिति पर विचार करना चाहिये ।

4-कई औषधियों को आपस में मिलाकर नही देना चाहिये इससे कभी कभी रोग तो ठीक हो जाता है परन्‍तु अन्‍य औषधीयजन्‍य जटिलतायें निर्मित हो सकती है ।

5-एक समय में एक या अधिकतम दो औषधियॉ देना चाहिये, एक अच्‍छा होम्‍योपैथ एक समय में एक ही औषधिय का निर्वाचन करता है ।

6-मलहम के लिये आप पेट्रोलियम जैली वेसलीन का उपयोग कर सकते है परन्‍तु यह याद रखे कि उसमें किसी प्रकार की सुगंधित पदार्थ न मिले हो इसी प्रकार लोशन बनाने के लिये आप ग्‍लीसरीन का उपयोग कर सकते है । इनमें मिलाई जाने वाली औषधीय प्राय: मूल अर्क या मदर टिंचर में इतनी मिलाई जाती है जिससे मिलाई जाने वाली वस्‍तु का रगं डाली जाने वाली औषधीय के रंग के जैसी हो जाती हो तो समक्षना चाहिये कि उसमें औषधिय की मात्रा प्रर्याप्‍त हो गयी है ।

7-होम्‍योपंचर चिकित्‍सा में अकसर उच्‍च शक्ति की सुनिर्वाचित औषधियों का प्रयोग करना चाहिये , पंचरिंग निर्धारित पाईट पर बारीक डिस्‍पोजेबिल निडिल के चैम्‍बर में औषधीय को भर कर पंचरिग किया जाता है होम्‍पैथिक की शक्तिकृत दवा जैसे ही शरीर के सम्‍पर्क में आती है तत्‍काल अपना कार्य कर देती है ।     


  


 

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रचनाएँ
ब्यूटी क्लीनिक, ब्यूटी पार्लर
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ब्युटी पार्लर की अत्याधुनिक जानकारी,ब्युटी क्लीनिक सौन्द्धर्य समस्याओं का निदान, नीशेप क्लीनिक, टैटू, बीगम,नेवल स्प्रिंग, नेवल कार्क, होम्योपंचर से कील मुहंसे,ब्लैक हैड,अनावश्यक मोटापा, बौनापन
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ब्‍यूटी क्‍लीनिक ,ब्‍यूटी पार्लर की अत्‍याधुनिक  तकनीकी   ब्‍यूटी क्‍लीनिक ,ब्‍यूटी पार्लर की अत्‍याधुनिक  तकनीकी है , ब्‍यूटी पार्लर में मात्र सौर्न्‍दय श्रृंगार का कार्य होता है एंव यह गली चौरा

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                                           प्राचीन नाभी चिकित्‍सा नाभी चिकित्‍सा का उल्‍लेख विश्‍व की कई वैकल्‍पिक चिकित्‍सा पद्धतियों एंव कई परम्‍परागत उपचार विधियों में देखने को मिल जाती है ,परन्‍

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0-विश्‍व प्रचलित चिकित्‍सा पद्धतियों का उदभव

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ब्युटी पार्लर को ब्यूटी क्लीनिक मे अपडेट करे

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ब्युटी पार्लर को ब्यूटी क्लीनिक मे अपडेट करे समय के साथ हर चीजें बदलती है । ब्युटी पार्लर मे सौन्द्धर्य श्रृंगार के साथ सैलून जैसा कार्य बचा है फिर यह गली चौराहों से लेकर घरों घर खुलने से इसमें कम्

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बीगम से शरीर के अनावश्यक बालों को निकालना

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ब्युटी क्लीनिक निःशुल्क प्रक्षिक्षण

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नेवल पंचर या होम्योपंचर

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 भारतीय औषधी बाकुची का कमाल कुष्टरोग मे होम्योपैथिक की जो दवाएं चलती है ,उससे त्वचा रोगों मे मुझे काफी सफला मिली है ,चूंकि मै वनस्पति शास्त्र का छात्र रहा हूँ ,इसलिए हमेशा से ही वनस्पतियों का अध्ययन

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