![Vani Prakashan](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fusers%2FVaniPrakashan_6305c3ce2df23a4be7823ca0_1661322366552.jpg&w=384&q=75)
Vani Prakashan
The most trusted cultural and literary power house. We celebrate secular, polemic and intellectual voices that reflect the movements in social and political spaces, in the form of books and journals. Engaged in the profession of publishing since three generations, we are India's oldest independent family managed Hindi publishing house. Website : https://www.vaniprakashan.in/
![रुत](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Frut_%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B9%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%2587%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25A6%25E0%25A5%258C%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580_10087252_1653981137284.jpg&w=384&q=75)
रुत
राहत अपनी शायरी में दो तरह से मिलते हैं - एक दर्शन में और एक प्रदर्शन में। जब आप उन्हें हल्के से पढ़ते हैं तो केवल आनन्द आता है, लेकिन जब आप राहत के दर्शन में, विचारों में डूबकर पढ़ते हैं तो एक दर्शन का अहसास हो जाता है। और जब आप दिल से पढ़ते हैं तो वह
![रुत](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Frut_%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B9%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%2587%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25A6%25E0%25A5%258C%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580_10087252_1653981137284.jpg&w=256&q=75)
रुत
राहत अपनी शायरी में दो तरह से मिलते हैं - एक दर्शन में और एक प्रदर्शन में। जब आप उन्हें हल्के से पढ़ते हैं तो केवल आनन्द आता है, लेकिन जब आप राहत के दर्शन में, विचारों में डूबकर पढ़ते हैं तो एक दर्शन का अहसास हो जाता है। और जब आप दिल से पढ़ते हैं तो वह
![चाँद पागल है](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2FcaaNdpaaglhai_%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B9%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%2587%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25A6%25E0%25A5%258C%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580_10087257_1653984896701.jpg&w=384&q=75)
चाँद पागल है
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है एक दीवाना मुसाफ़िर है मिरी आँखों में वक़्त-बे-वक़्त ठहर जाता है चल पड़ता है अपनी ताबीर के चक्कर में मिरा जागता ख़्वाब रोज़ सूरज की तरह घर से निकल पड़ता है रोज़ प
![चाँद पागल है](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2FcaaNdpaaglhai_%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B9%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%2587%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25A6%25E0%25A5%258C%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580_10087257_1653984896701.jpg&w=256&q=75)
चाँद पागल है
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है एक दीवाना मुसाफ़िर है मिरी आँखों में वक़्त-बे-वक़्त ठहर जाता है चल पड़ता है अपनी ताबीर के चक्कर में मिरा जागता ख़्वाब रोज़ सूरज की तरह घर से निकल पड़ता है रोज़ प
![कुसुमाग्रज की चुनि सुनी नज़्में](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2FkusumaagrjkiicunisuniinzmeN_%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25BC%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0_10087216_1653906782722.jpg&w=384&q=75)
कुसुमाग्रज की चुनि सुनी नज़्में
गुलज़ार द्वारा अनूदित इस पुस्तक कुसुमराज की चुनि सुनी नज़्में को पढ़ने से पढ़ने की क्षमता और अन्य व्यक्तिगत कौशल में सुधार होता है। यह पुस्तक उच्च गुणवत्ता वाले मुद्रण के साथ हिंदी में उपलब्ध है। संग्रह नज़्म श्रेणी की पुस्तकें निश्चित रूप से आपको सबस
![कुसुमाग्रज की चुनि सुनी नज़्में](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2FkusumaagrjkiicunisuniinzmeN_%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25BC%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0_10087216_1653906782722.jpg&w=256&q=75)
कुसुमाग्रज की चुनि सुनी नज़्में
गुलज़ार द्वारा अनूदित इस पुस्तक कुसुमराज की चुनि सुनी नज़्में को पढ़ने से पढ़ने की क्षमता और अन्य व्यक्तिगत कौशल में सुधार होता है। यह पुस्तक उच्च गुणवत्ता वाले मुद्रण के साथ हिंदी में उपलब्ध है। संग्रह नज़्म श्रेणी की पुस्तकें निश्चित रूप से आपको सबस
![पन्द्रह पाँच पचहत्तर](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2FpndrhpaaNcpchttr_%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25BC%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0_10087202_1653894231221.jpg&w=384&q=75)
पन्द्रह पाँच पचहत्तर
‘पन्द्रह पाँच पचहत्तर' की कविताएँ पंद्रह खंडों में विभाजित हैं और हर खंड में पाँच कविताएँ हैं। गुलज़ार का यह पहला संग्रह है, जिसमें मानवीयकरण का इतना व्यापक प्रयोग किया गया है। यहाँ हर चीज बोलती है-आसमान की कनपट्टियाँ पकने लगती हैं, काल माई खुदा को न
![पन्द्रह पाँच पचहत्तर](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2FpndrhpaaNcpchttr_%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25BC%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0_10087202_1653894231221.jpg&w=256&q=75)
पन्द्रह पाँच पचहत्तर
‘पन्द्रह पाँच पचहत्तर' की कविताएँ पंद्रह खंडों में विभाजित हैं और हर खंड में पाँच कविताएँ हैं। गुलज़ार का यह पहला संग्रह है, जिसमें मानवीयकरण का इतना व्यापक प्रयोग किया गया है। यहाँ हर चीज बोलती है-आसमान की कनपट्टियाँ पकने लगती हैं, काल माई खुदा को न
![काबुलीवाला](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fkaabuliivaalaa_%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25AC%25E0%25A5%2580%25E0%25A4%25A8%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A6%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A5%25E0%25A4%25A0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25B0_10086801_1653043324919.jpg&w=384&q=75)
काबुलीवाला
सूखे मेवे बेचने वाले एक बूढ़े अफ़गानी और एक नन्ही बच्ची के बीच किस तरह किसी बाप-बेटी जैसा पवित्र प्रेम विकसित हुआ है, रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी इस अनुपम कहानी में यही चित्रित किया है। इस कहानी की गिनती बच्चों के लिए लिखी गई महान पुस्तकों में की जाती ह
![काबुलीवाला](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fkaabuliivaalaa_%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25AC%25E0%25A5%2580%25E0%25A4%25A8%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A6%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A5%25E0%25A4%25A0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25B0_10086801_1653043324919.jpg&w=256&q=75)
काबुलीवाला
सूखे मेवे बेचने वाले एक बूढ़े अफ़गानी और एक नन्ही बच्ची के बीच किस तरह किसी बाप-बेटी जैसा पवित्र प्रेम विकसित हुआ है, रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी इस अनुपम कहानी में यही चित्रित किया है। इस कहानी की गिनती बच्चों के लिए लिखी गई महान पुस्तकों में की जाती ह
![दौड़](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fdaudd%2527_%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25BE_10086755_1652962542387.jpg&w=384&q=75)
दौड़
‘दौड़’ को लघु उपन्यास कहें या लंबी कहानी , इसका रचनात्मक मूल्य किसी भी खांचे में रख भर देने से कतई कम नहीं हो जाता । दरअसल यह रचना उन कृतियों की श्रेणी में आती है जो बार-बार शास्त्रीय या कहें कि तात्विक किस्म की आलोचनात्मक प्रणालियों का सार्थक अतिक्र
![दौड़](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fdaudd%2527_%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25BE_10086755_1652962542387.jpg&w=256&q=75)
दौड़
‘दौड़’ को लघु उपन्यास कहें या लंबी कहानी , इसका रचनात्मक मूल्य किसी भी खांचे में रख भर देने से कतई कम नहीं हो जाता । दरअसल यह रचना उन कृतियों की श्रेणी में आती है जो बार-बार शास्त्रीय या कहें कि तात्विक किस्म की आलोचनात्मक प्रणालियों का सार्थक अतिक्र
![अंदाज़-ए-बयां उर्फ़ रवि कथा](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2FaNdaaz-e-byaaNurfrvikthaa_%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25BE_10086753_1652960338096.jpg&w=384&q=75)
अंदाज़-ए-बयां उर्फ़ रवि कथा
बेमिसाल कथाकार जोड़ी रवीन्द्र कालिया और ममता कालिया की समूचे भारतीय कथा साहित्य में अमिट जगह है। साथ रहते और लिखते हुए भी दोनों एक.दूसरे से भिन्न गद्य और कहानियाँ लिखते रहे और हिन्दी कथा साहित्य को समृद्ध करते रहे। रवीन्द्र कालिया संस्मरण लेखन के उस्त
![अंदाज़-ए-बयां उर्फ़ रवि कथा](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2FaNdaaz-e-byaaNurfrvikthaa_%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25BE_10086753_1652960338096.jpg&w=256&q=75)
अंदाज़-ए-बयां उर्फ़ रवि कथा
बेमिसाल कथाकार जोड़ी रवीन्द्र कालिया और ममता कालिया की समूचे भारतीय कथा साहित्य में अमिट जगह है। साथ रहते और लिखते हुए भी दोनों एक.दूसरे से भिन्न गद्य और कहानियाँ लिखते रहे और हिन्दी कथा साहित्य को समृद्ध करते रहे। रवीन्द्र कालिया संस्मरण लेखन के उस्त
![खाँटी घरेलू औरत](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2FkhaaNttiighreluuaurt_%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25BE_10086758_1652965682139.jpg&w=384&q=75)
खाँटी घरेलू औरत
एक लेखक का रचाव और सृजन-माटी जिन तत्वों से बनती है उनमें गद्य, पद्य और नाट्य की समवेत सम्भावनायें छुपी रहती हैं। ममता कालिया ने अपनी रचना-यात्रा का आरंभ कविता से ही किया था। इन वर्षों में वे कथाजगत में होने 56 के बावजूद कविता से अनुपस्थित नहीं रही है
![खाँटी घरेलू औरत](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2FkhaaNttiighreluuaurt_%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25BE_10086758_1652965682139.jpg&w=256&q=75)
खाँटी घरेलू औरत
एक लेखक का रचाव और सृजन-माटी जिन तत्वों से बनती है उनमें गद्य, पद्य और नाट्य की समवेत सम्भावनायें छुपी रहती हैं। ममता कालिया ने अपनी रचना-यात्रा का आरंभ कविता से ही किया था। इन वर्षों में वे कथाजगत में होने 56 के बावजूद कविता से अनुपस्थित नहीं रही है
![यार जुलाहे...](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fyaarjulaahe..._%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25BC%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0_10087215_1653906056325.jpg&w=384&q=75)
यार जुलाहे...
अनगिनत नज़मों,कविताओं और गज़लों कि दुनिया है गुलज़ार के यहाँ। जो अपना सूफियाना रँग लिए हुए शायर का जीवन-दर्शन व्यक्त करत्ती है इस पुस्तक में लेखक अभिव्यक्ति में जहां एक ओर हमे कवि के अन्तर्मन कि महीन बुनावट कि जानकारी मिलती है,वहीं दूसरी ओर सूफियाना रनग
![यार जुलाहे...](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fyaarjulaahe..._%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25BC%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0_10087215_1653906056325.jpg&w=256&q=75)
यार जुलाहे...
अनगिनत नज़मों,कविताओं और गज़लों कि दुनिया है गुलज़ार के यहाँ। जो अपना सूफियाना रँग लिए हुए शायर का जीवन-दर्शन व्यक्त करत्ती है इस पुस्तक में लेखक अभिव्यक्ति में जहां एक ओर हमे कवि के अन्तर्मन कि महीन बुनावट कि जानकारी मिलती है,वहीं दूसरी ओर सूफियाना रनग
![no articles](/_next/image?url=%2F_next%2Fstatic%2Fmedia%2Fblank-articles.7d085eea.png&w=640&q=75)