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दौड़

ममता कालिया

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19 मई 2022 को पूर्ण की गई
ISBN : 9788170557142

‘दौड़’ को लघु उपन्यास कहें या लंबी कहानी , इसका रचनात्मक मूल्य किसी भी खांचे में रख भर देने से कतई कम नहीं हो जाता । दरअसल यह रचना उन कृतियों की श्रेणी में आती है जो बार-बार शास्त्रीय या कहें कि तात्विक किस्म की आलोचनात्मक प्रणालियों का सार्थक अतिक्रमण करती हैं। ममता कालिया हिंदी कथा लेखन में स्वयं एक स्तरीय मापदंड हैं। उनके लेखन ने स्त्री-पुरुष लेखन की निरर्थक हदबंदियों को भी तोड़ा है। हिंदी के कथा -साहित्य के पाठक इनके लेखन को बड़ी उम्मीद से देखते रहे हैं। यही कारण है कि कथा जगत् की इस बड़ी लेखिका की रचनाएँ सस्ती , तात्कालिक और पढ़ते ही नष्ट हो जाने वाली हंगामा खेज लोकप्रियता की बजाय पाठक को ऐसे रचना -संसार से अवगत कराती हैं जिसका निवासी स्वयं पाठक भी है। इसीलिए उनकी रचनाओं में बाँधकर रखने वाला वह गुण भी मौजूद है जिसे उत्कृष्टस्तरीयता के साथ उपस्थित कर पाना बड़ी लेखकी य साधना का काम है। ‘दौड़’ आज के उस मनुष्य की कहानी है जो बाज़ार के दबाव-समूह, उनके परोक्ष-अपरोक्ष मारक तनाव, आक्रमण और निर्ममता तथा अंधी दौड़ में नष्ट हो ते मनुष्य के आसन्न खतरे में पड़े मनुष्य को उजागर करती है। यह रचना मनुष्यों की पारस्परिक संबंधों की परंपरा और पड़ताल करती है। 

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