हिंदी है हम वतन है। अपनी अभिव्यक्ति कहने का जतन है, अपनी संस्कृति का न हो पतन, बस यही जतन है। हिंदी है हम वतन है। जुबानें बेहिसाब है जहां में, हम वतन के, खुद के आजाद ख्यालात की, जुबान है हिंदी... अपनेपन का अहसास, खुद के शब्दों की परवाज़ है हिंदी, कोयल की जुबान है हिंदी। हिंदी है हम वतन है...
दोस्तों, आज हम देख रहे हैं की एक पुराण पेड़ समूल उखाड़ने के लिए विदेश-दुश्मन-जाने-अनजाने सभी से गठबंधन कर लिया गया है .ये पेड़ इसलिए नहीं पुराण की ये कोई धर्म है? ये तो अपितु इसलिए पुराना है क्यूंकि भारत की 300 वर्षों की गुलामी और 700 वर्ष
ना तो मैं किसी का गुलाम हूँ ना कोई मेरा गुलाम हैं .मैं आज़ाद हूँ दिलो दिमाग से सब मेरी तरह आज़ाद हैं. कुछ आज़ादी बेच मनाते जश्न हैं, कुछ दर्द आज़ादी का हैं झेलते, जो वतन बेच बैठे थे फिरंगियों की गोद में वो आज मुल्क के चौकीदार है. कुछ गुलामी के लड्डू खा रहे, कुछ आज़ादी की ख़ा