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वीराना 4

15 मई 2022

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सार्थक अब अंदर दाखिल हो चुका था वो देखता है वहां काम तरक्की पर है।
"अरे !यहाँ तो काम चल रहा है वो यहाँ का इंचार्ज लग रहा है चलो उसी से पता करता हूँ" सार्थक कार से बाहर आता है और इंचार्ज के पास जाने लगता है।
सार्थक इंचार्ज के पास जाकर बोलता है "हेलो !मैं सार्थक आर एंड आर ब्रदर्स से ! आपका नाम क्या है?
"नमस्ते सर ,मेरा नाम मनोज है। मैं यहाँ का इंचार्ज हूँ। " इंचार्ज ने जबाव दिया।
बाड़े की तरफ देखते हुए सार्थक बोला "हेलो मिस्टर मनोज ,मिस्टर अमित कहाँ मिलेंगे ?
इंचार्ज बोला "सर ,उनका तो पता नहीं पिछले एक हफ्ते पहिले आये थे। उसके बाद वो अभी तक तो नहीं आये। "
सार्थक पूछता है "आपको वो आखरी बार कब मिले थे?"
इंचार्ज ने जबाव दिया "शुक्रवार रात को मेरे साथ काफी देर रहे यहाँ काफी समय उन्होंने साइट पर बिताया यहाँ।
हम सभी जा रहे थे पर उन्होंने कहा वो और कुछ देर रुकेंगे उस दिन के बाद हम में से किसी ने नहीं देखा उनको।"
सार्थक ने पुछा "और तुमने यह जानने की भी कोशिश नहीं की के वो कहाँ गए ?
इंचार्ज "मुंबई हेड ऑफिस गए होंगे ऐसा हमने मान लिया। साहब लोगो का आना जाना लगा रहता है।
सार्थक "कभी उनको कॉल नहीं किया "
इंचार्ज घबरा गया पर के ऐसा क्या हो गया पर वहीँ खड़ा एक मज़दूर बोला "किये थे साहब पर एक भी कॉल नहीं लगा। तो हमने सोचा के एक -दो हफ्तों में वापस आ जायेंगे। क्यों कुछ हो गया साहब। "
सार्थक बोला "नहीं नहीं कुछ नहीं आप सभी अपना काम करते रहो "
सार्थक तभी वह कुआ देखता है और इंचार्ज से कहता है "ये कुआ यहाँ कैसे " मनोज ?
मनोज ने कहा "यह तो सर इस बाड़े के बनने के समय से यहाँ था काफी पुराना बाड़ा है न ये तो उस समय इसी से पानी आता था। "
सार्थक पूछता है "बाड़ा मतलब "?
इंचार्ज बताता है "सर कुछ मराठी परिवार काफी बाड़े हुआ करते थे जिन्हे "बाड़ा" कहा जाता था। इनमे बहुत सारे परिवार एक साथ रहा करते थे,तो घर के आंगन में एक कुआ और बाकी सब हुआ करता था।
सार्थक "अच्छा !अभी इस पर काम चालु नहीं हुआ ?
इंचार्ज ने कहा "नहीं सर अभी पूर्वी दिशा वाला हिस्सा गिरा रहे है हम बाद में यहाँ काम करेंगे।
सार्थक कुए में झाँकने लगता है
इंचार्ज घबराकर बोला "नहीं सर इसमे मत देखिये प्लीज। यह खतरनाक हो सकता है।
सार्थक बोला "ऐसा क्यों कोई जानवर है क्या इसमे कुआ ही तो है "?

इंचार्ज ने जबाव दिया "वो लोकल लोग कहते है के ये बाड़ा भूतिया था इसलिए करीब चालीस साल से यह ऐसे ही पड़ा था। सरकार के पास। पूरा खानदान इसमे जल कर मर गया था।
सार्थक बोला "इसका कुए से क्या सम्बन्ध ?"
इंचार्ज "सर लोग कहते है के सारे भूत इसी कुए में रहते है "
"सब जो बचे वो इसी में कूद कर मर गए थे "
सार्थक हँसते हुए "हहहह हाहा हा कैसी दक़ियानूसी बाते करते हो जाओ अपना काम करो आप अब "
मनोज एक बात और बताओ अमित जिस रात आया था उस रात कोई मज़दूर नहीं था उसके साथ क्या ?
इंचार्ज मनोज "नहीं सर! जिस दिन से हमारे एक मज़दूर श्याम सिंह के साथ जो हादसा हुआ उसके बाद यहाँ कोई नहीं रुकता कोई भी मज़दूर यहाँ रुकना नहीं चाहता रात को।"
सार्थक "हादसा !कैसा हादसा ?
इंचार्ज ने कहा "उस दिन तक रोज रात को सारे मज़दूर यहीं सोया करते थे पूनम की रात थी। चाँद की रौशनी में  सभी मज़दूर अपना काम कर रहे थे श्याम को नींद नहीं आ रही थी वो यही बाड़े के आँगन में लेटा हुआ करवटें ले रहा था।
तब उसने अचानक देखा के कोई पेड़ के पीछे खड़ा हुआ है।
श्याम उठ कर बैठ गया पर उसे वहां कोई नहीं दिखा । "
"तभी अचानक उसे लगा दो बच्चे हँसते खेलते हुए वहां से भागे पर जब वो मुड़ा तो पाया के वहां कोई नहीं था "
"तभी श्याम को एक लड़की दिखी "
"उसने उस लड़की से पुछा कौन हो तुम "
"लड़की ने कोई जबाव नहीं दिया"
"श्याम घबरा गया वो कुए के दीवार पर बैठी थी उसने सोचा कहीं ये बच्ची इसमे न गिर जाए "
"श्याम ने घबरा कर फिर पुछा के कौन हो तुम !और देखो गिर मत जाना उतरो वहां से।"
"तब लड़की ने कुए की तरफ इशारा किया "
"जैसे वो कुछ दिखाना चाहती हो "
"श्याम ने कुए मई झाँका तो पाया उस लड़की की लाश उसी कुए में तैर रही थी"
"तभी श्याम की पत्नी भी वहां आ गयी उसने पुछा आप कुए में क्या देख रहे हो"
"श्याम ने यह वात अपनी पत्नी को बताई तब से यह बात सब मज़दूरों में फ़ैल गयी मैंने बहुत कोशिश की लेकिन कुछ न कर सका तब से मज़दूर रात को इस जगह से एक किलोमीटर दूर ही रहते है "
सार्थक बोला "अच्छा मनोज ! अमित की एक एसयूवी कार थी। वो आपमे से किसी ने देखी ?
इंचार्ज "हाँ एक एसयूवी कार मिली तो थी हमने लावारिश जान कर पुलिस को खबर की तो वो पुलिस ने आपने कब्ज़े में ले ली हम समझे कोई चोरी की गाडी है और यहाँ खड़ी कर के ले गया है। और हमने घबराकर पुलिस को खबर दे दी। "
सार्थक "कब ले गए । "
इंचार्ज "वो तो नहीं पता सर हो गए होंगे दो - तीन दिन मैं उस दिन पास ही के शहर था मुझे काम था जरूरी।
सार्थक "ठीक है थैंक यू !मैं खुद ही पुलिस स्टेशन जाकर पता कर लूँगा। 

कई सारे सवाल लिए सार्थक पुलिस स्टेशन की तरफ निकल जाता है मन में अब अमित के साथ कोई अनहोनी को लेकर घबराहट था।  क्योकि अब तक हुयी छानबीन से उसे यही लग रहा था,के कुछ तो गलत हुआ है,जो अमित ने किसी को कॉल नहीं किया क्योकि अमित काफी एक्टिव रहने वाला पर्सन था। पर अब स्थिति बदल चुकी थी मौके पर उसकी कार बरामद हुई और वो कहाँ गया होगा ऐसा क्या हुआ जो अमित का किसी को पता तक नहीं
कुछ तो गलत हुआ है। अब सार्थक कड़ी से कड़ी मिलता हुआ सा दिख रहा था पर कुछ गड़बड़ का छोटा मोटा अंदेशा लगा रहा था पर था क्या? 

 

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रचनाएँ
वीराना
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