रात ११ बजे,
स्थान - अमरावती से थोड़ी दूर बना मराठा परिवार का प्राचीन वाडा !
मुंबई की बड़ी रियल एस्टेट कम्पनी - ' कुमार एंड संस बिल्डर्स '
का मालिक अमित अपने इस खास प्रोजेक्ट का ब्यौरा कर रहा है !
अमित :यह कितना सुन्दर रहा होगा बहुत से मराठी परिवार यहाँ एक साथ रहा करते थे।
ये तो अच्छा हुआ की मैंने और सार्थक ने इसे नीलामी में खरीद लिया और इसको शॉपिंग मॉल मे बदलने के लिए इन्वेस्टमेंट ले ली।
महाराष्ट्र मे महाराजाओ से शुरू हुई बाड़े मे रहने की ये परंपरा अनेक मराठी कुटुम्बों मे प्रचलित रही। इनमे रहने का आनंद अलग ही था।
अमित को लगा जैसे उसे कोई देख रहा था
अमित ने मुड़कर देखा पर पीछे कोई नहीं था
अमित क्या ये मेरा बहम था ?
खैर !वापस काम पर लगता हूँ ! कल तक इन्वेस्टर्स को मॉल के प्रोजेक्ट का प्लान देना है।
यहाँ एस्कलेटर बनवाऊंगा
जो नीचे सिनेप्लेक्स से सीधे यहाँ पर आएगा।
पर जैसे ही अमित ने सिनेप्लेक्स की जगह देखने नज़र ऊपर उठाई ,उसे वहां कोई नज़र आया।
अमित :हे कौन हो तुम और इतनी रात को यहाँ क्या कर रही हो ?
वो साया किसी बच्ची का था जो अजीव सी हंसी देकर भाग गयी
अमित ने मन मे सोचा :वो लड़की यहाँ तक कैसे पहुंची ?अगर ऊपर से गिरकर अपने साइट पे मर जाती तो मुसीबत आ जाती !
ओह्ह्ह! इन मज़दूरों ने आज ढंग से काम नहीं किया। इस सीढ़ी को आज गिरा देना था। क्या मुसीबत है उस बच्ची को निचे लाना होगा नहीतो बेचारी को चोट आ जायेगी।
न जाने मुझे बार बार ऐसा क्यों लग रहा है जैसे कोई मुझे देख रहा हो !पर पीछे तो कोई नहीं है।
लगता है पुरानी ईमारत होने की बजह से ऐसा बहम हो रहा है
अरे ! ऊपर तो एक दरबाजा है ! तो क्या वो बच्ची इसके पीछे है ?
ये दरवाजा काफी पुराना लगता है इसे खोलना ही बड़ी मुसीबत होगा। पर अगर वो लड़की साइट पे कुछ भी हुआ तो फालतू बबाल होगा
अमित दरवाजा धकेलता है आह !ना तो ये कुण्डी खुल रही ना ही ये दरवाज़ा खुल रहा है।
क्या वो परदे के पीछे है?इसे हटा के देखता हूँ।
परदे के पीछे कुछ तो था पर "वो" नहीं जिसे अमित ढूंढ रहा था।
ये बच्चे भी कमाल करते है ये कोई लुका छुपी खेलने का वक़्त है ,मे इस बच्ची की उम्र का था तब मे भी ऐसे ही रात मे खेला करता था और मेरी माँ परेशान हो जाया करती थी।
तभी उसे दरबाजे के पीछे से एक बच्ची के हंसने की आवाज़ आती है।
अरे यार !ये लड़की तो इसी कमरे मे खेल रही है पर वो वहां गयी कैसे ?
ओह्ह !ये तो पूरी तरह से जाम है अपने किसी मज़दूर को बवक़्त बुलाना पड़ेगा वो घबराते हुए बोला।
पर जैसे ही अमित कॉल करने के लिए मुड़ा तो उसे सामने से कोई खड़ा दिखाई दिया।
एक सफ़ेद साड़ी मे एक नवयौवना स्त्री खड़ी थी हवा से उसके काले बाल चेहरे पर ढंके हुए थे
अमित ने पुछा क्या आप उस बच्ची की माँ है जो अंदर खेल रही है ?आप जरूर उसी को खोजते हुए आयी है
है न ?
आप कुछ बोल क्यों नहीं रही?कही आप ने ही तो उस बच्ची को उस कमरे मे तो बंद नहीं कर दिया।
वो औरत बिना कुछ कहे ,बिना कुछ भाव दिया बस एक तक अमित को देखे जा रही थी।
क्या तुम इस ताले को तोड़ सकती हो ?जबाव दो नहीं तो मुझे पुलिस बुलवानी पड़ेगी।
पर उस औरत ने कोई जबाव नहीं दिया। बल्कि वो दो कदम आगे बढ़ गयी। अमित समझ नहीं पा रहा था के आखिर हो क्या रहा है !