विश्वास अगर मन में आ जाऐ,
हर बाधा मंजिल बन जाएं,
विश्वास जिसे मिल जाता है,
वह आगे बढ़ जाता है,
जिसने खुद पर विश्वास किया,
उसने इतिहास रचाया है,
चाणक्य ने लेकर, विश्वास पताका,
अखण्ड भारत बनवाया था,
राणा प्रताप के घोड़े ने भी,
अपना विश्वास दिखाया था,
राणा का मस्तक झुका नहीं,
ऐसा इतिहास रचाया था,
झांसी की रानी, लेकर शिशु को,
जब रणचंडी बनकर निकली,
विश्वास लिए अपने मन में,
झुकने ना दूंगी शीश कभी,
चाहे काल सामने आ जाएं,
इस मातृभूमि की रक्षा का,
संकल्प लिए निकलीं हूं मैं,
नाना का विश्वास हूं मैं,
तात्या का अभिमान बनूं,
मुझको विश्वास है, खुद पर इतना,
मेरा विश्वास अडिग होगा,
मैं भारत का विश्वास बनीं,
विश्वास बनें मेरा भारत,
विश्वास की लेकर मशाल,
जो आगे बढ़ जाएगा,
वह भगतसिंह, आजाद बनेगा,
बनकर विवेकानंद वह,
दुनिया को यह दिखलाएगा,
विश्वास तो ऐसा शस्त्र है,
जो उसको, विश्वास से उठाएगा,
वह चाणक्य,राणा, विवेकानंद बनकर,
विश्वास की पताका फहराएगा।
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
13/1/2021