अवसाद मुझे इस दुनिया से नहीं,
अवसाद है अपने आप से।
मैं समझता हूं गलत जिन्हें,
उन्हें भी जीवन मिला है अभिशाप से।।
उसकी सोच मैं ना समझा,
मैं स्वार्थी हो गया विचारों का।
सोचा सदा अपने हित में,
था अवसाद जीवन का।।
कभी ना देखा था उसको,
वह किस राह चल के आया है।
किन परिस्थितियों में उसने,
अपना अवसाद मिटाया है।।
मेरे अवसाद मिटाने को,
कोई देवदूत ना आयेगा।
मेरी कोशिशें जब होंगी,
रास्ता मंजिल दिखलायेगा।।
मैं समझता हूं अकेला यहां,
यही सच है इस दुनिया का।
अवसाद क्यों करूं मन में,
मैं एक अनुपम कृति दुनिया का।।
मेरे अवसाद जो जीवन में,
अंत कभी ना इनका होगा।
संतोष करना मन सीखो,
खुशियों का जब घर होगा।।
देखता हूं खुशी चेहरे,
जलन सी पैदा होती है।
देखा जब निकट से उनको,
गम की उनकी भी दुनिया होती है।
कोई धन के अवसाद डूबा है।
कोई लव के अवसाद डूबा है।
कोई संतान से अवसाद में डूबा,
कोई संतान को अवसाद में डूबा है।।
ना देखो ऊपरी चेहरे,
जरा दिल झांककर देखो।
अवसाद गहरे हैं,
उन्हें पहचान कर देखो