shabd-logo

परिश्रम का फल

28 अक्टूबर 2022

17 बार देखा गया 17
वक्त सीख नई देता जीवन में अनवरत चलता है।
वक्त के साथ परिश्रम करले जीवन उसका चमकता है।
धरा अनवरत घूम रही है रूकती नहीं थकती नहीं।
जिंदगी मनुज की बिना परिश्रम के चमकती नहीं।


परिश्रम मनुष्य के सफलता की कुंजी है।
परिश्रम मनुष्य की जिंदगी की हर खुशी है।।
परिश्रम करने वालों को मंजिलें दूर नहीं लगती।
सफलताएं रहती है मुट्ठी में कभी बैचेन नहीं करती।।

परिश्रम करने वाले कांटों पर चलना सीख गये।
जिंदगी की हकीकत जीवन जीना सीख गये।।
परिश्रम से हिम्मत आती है जिंदगी में।
परिश्रम से हर खुशी फैलती जिंदगी में।।


परिश्रम फूलों के खूशबू जैसी होती है।
जो महकाती है ज़िंदगी रंग-बिरंगी करती है।।
हकीकत बयान होती है परिश्रम से।
जिंदगी के हर सपने को साकार करती है।


17
रचनाएँ
दैनिन्दिनी प्रतियोगिता अक्टूबर 2022
0.0
वर्तमान में देश समाज और राजनीति के ऊपर लेख, कविताएं या कहानियां लिखी जाती है जो समाज के वर्तमान को मध्य नजर रखते हुए रचित होती है।
1

रावण छुपा तेरे अंदर

5 अक्टूबर 2022
4
1
0

रावण तेरे अंदर है तू किस रावण को जला रहा। यह सोच गलत तेरी है मानव तू अंहकार में घूम रहा।। तू समझ रहा खुद को सच्चा फिर मानव से क्यों जलता है।काम, क्रोध,मद ,लोभ,मोह में अंधा हो तू चलता है।। तेरे रिपू त

2

अवसाद

7 अक्टूबर 2022
0
0
0

अवसाद मुझे इस दुनिया से नहीं, अवसाद है अपने आप से। मैं समझता हूं गलत जिन्हें, उन्हें भी जीवन मिला है अभिशाप से।। उसकी सोच मैं ना समझा, मैं स्वार्थी हो गया विचारों का। सोचा सदा अपने हित में, था अवसा

3

हाउस वाइफ

8 अक्टूबर 2022
1
1
0

सुबह से शाम तक,मेरे पैर नहीं टिकते हैं धरा पर,चाय बनाकर पति को जगाती हैंमुझे अफसोस नहीं कभी इस पर।मैं घर के हर सदस्य की जिम्मेदारी हूं।हां मैं एक घर की नारी हूं घड़ी की सूइयों के साथ चलती हूं सदा

4

गरीबी जिंदा क्यों रहती है?

9 अक्टूबर 2022
0
0
0

इस दुनिया में गरीब व्यक्ति की हालत हमेशा गरीबी से क्यों जूझती है। इस बात को सोचने और समझने की क्षमता उस गरीब व्यक्ति में कहां होती है। जो अपनी जिंदगी के भूत, भविष्य और वर्तमान के विषय में कभी भी

5

आधुनिक जीवनशैली

9 अक्टूबर 2022
0
0
0

कमल तोड दी जीवनशैली की,मानव को कहिल बना दिया।संस्कार, संस्कृति बहाती आंसू,विज्ञान ने कैसा सिला दिया।।एक अंधेरे कोने में,रोते हैं रिश्ते फफक-फफक।मां की ममता रोती बेटे प्रेम,अश्क रहे हैं नयन टपक।।प्रेम

6

जीना मैंने सीख लिया

11 अक्टूबर 2022
0
0
0

दुनिया में दोहरे चरित्र है,हर मानव को देख लिया।कैसे जीना इस दुनिया में,जीना मैंने सीख लिया।।जहर भरा कुंभ के अंदर,लेप बाहर दूध का हैं।कथनी करनी में अति अंतर,यह सत्य इस जग का है।तम में उजाला करके फिर,फं

7

छल कपट

12 अक्टूबर 2022
1
0
0

पर्दे की पीछे जो घात करते हैं,छल कपट वे लोग साथ रखते हैं।दुनिया बदल रही है ज़माने के साथ,छल कपट बढ़ रहा जन चरित्र हीनता के साथ।।कर देते लोग धोखा अपनों के साथ,जब जीते हैं दुनिया में नये सपनों के साथ।।म

8

प्रेम त्रिकोण

14 अक्टूबर 2022
1
1
1

प्रेम के बंधन को बहुत ही अनुपम बनाया है रब ने।अनंत गहराई होती है लव की समझ लिया मानव ने।।उठती है लहरें सागर के जैसी दिल में भूचाल मचा देती।थाह नहीं होती है असीम जल सम प्रेम ज्वाला जब दिल जलती।। जिंदगी

9

शुभकामनाएं वीर जवानों को

24 अक्टूबर 2022
0
0
0

सरहदों पर जो प्रहरी बनकर खड़े हुए।उनकी खुशियां देश और हमारी रक्षा है।।हम मना रहे हैं दीवाली वे खड़े हैं बन प्रहरी,मुबारक हो उनको ईश्वर करे उनकी सुरक्षा है।।तिरंगा उनकी शान और स्वाभिमान है,उम्मीद नहीं

10

परिश्रम का फल

28 अक्टूबर 2022
0
0
0

वक्त सीख नई देता जीवन में अनवरत चलता है।वक्त के साथ परिश्रम करले जीवन उसका चमकता है।धरा अनवरत घूम रही है रूकती नहीं थकती नहीं।जिंदगी मनुज की बिना परिश्रम के चमकती नहीं।परिश्रम मनुष्य के सफलता की कुंजी

11

कड़ी तपस्या

28 अक्टूबर 2022
0
0
0

जीवन एक तपस्या है दुनिया में,कड़े संघर्ष है जीवन में।हर राह पर कठिनाइयां यहां खड़ी,घबराना मत जन तुम जीवन में।।सत्य की राह पर जै मनुष्य चले,मानवतावादी दृष्टिकोण रखें।करें दया हर जीव जो भव में है,वह जीव

12

भाई दूज

28 अक्टूबर 2022
0
0
0

भाई-बहिन का त्यौहार है अनुपम, जहां खुशियां बसती है नहीं गम।प्रेम का रिश्ता भाई-बहिन का,हमें निभाना मरते दम तक।।बचपन की यादें ताजा हो जाती,जब एक आंगन में खेले थे संग।जीवन की खुशियां है भारी,चढ़े ख

13

सफलता का स्वाद

28 अक्टूबर 2022
0
0
0

तन मन धन सब अर्पण किया, जीवन की सफलता के लिए। सफलता का स्वाद मीठा होता, हर मनुष्य की जिंदगी के लिए।। सफलता चुनौतियों को, हराकर छीनी जाती है। संकट होते हैं हजार, हर मुश्किल सहन की जाती है।। डर निकल जात

14

सत्य का मार्ग

28 अक्टूबर 2022
0
0
0

सत्य के मार्ग पर चल मनुज,तेरे जीवन का एक मकसद है।तेरे जीवन को सफल बनाने के लिए,सत्य ही तेरी मंजिल है।।उदासीन क्यों हो रहा सत्य,राह सत्य के कठिनाइयां बहुत है।अस्तित्व बढ़ रहा है असत्य का,हर तरफ सत्य की

15

क्रोध की ज्वाला

28 अक्टूबर 2022
0
0
0

मनुष्य खो बैठता है संतुलन,नही रहता नियंत्रण अपने आप पर।असहज ,असरल महसूस होता हैमनुज क्रोध की तपिश पर।।सत्यवादी जन करता है क्रोध,झूठी बातों पर।क्रोध की अग्नि मनुष्य को,जला देती है मामूली बातों पर।।जो स

16

तेरा आज कभी नहीं आयेगा

30 अक्टूबर 2022
0
0
0

हे मनुज तेरी सोच का आज कभी नहीं आयेगा।ये आज कल और कल आज में बदल जायेगा।।वक्त ने हमेशा अपनी फितरत बदली है।चले जो वक्त के साथ उसकी किस्मत बदली है।।सोचता है तू अगर , कल तेरी मंजिल की शुरुआत है।लेकिन कल ब

17

हौसलों की उडान

30 अक्टूबर 2022
1
1
0

हौसलों की बुलंदियों पर मनुज तुम्हें जाना है। जिंदगी की मंजिल का कहां तेरा ठिकाना है।। वक्त को पहचान ले तेरी हसरत क्या जिंदगी में। क्या राज छुपे हैं जिंदगी की इस हर खुशी में? मेहनत को अंजाम देकर दुनिया

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए