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योग

10 सितम्बर 2022

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योग
योग एक आध्यात्मिक यात्रा है जो जीवन को बेहतर ढंग से जीना सिखाते हुए मोक्ष की और अग्रसर होने में सहायक हो सकती है। योग का प्रचार प्रसार भले ही अभी कुछ समय से किया जाने लगा हो लेकिन हमारे भारत की ये पावन धरा पर योग तो सृष्टि के प्रारंभ से ही रहा है। शिवजी को आदि योगी कहा जाता है अर्थात् शिवजी आदि अनादि हैं तो योग का प्रारंभ भी शिवजी से ही माना जा सकता है। वेदों उपनषदों और भागवत में भी योग का महत्व बताया गया है। बाद में अन्य ऋषि मुनियों ने अपने अपने अनुसार इसका विस्तार किया। लगभग 200 ई. पू. पतंजलि ने इसे व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया। बाद में पतंजलि के शिष्यों ने इसे प्रचारित किया।
सही मायने में इसकी शक्ति को ऋषि मुनियों ने ही जाना था जो अपने शिष्यों को योग की व्यवस्थित शिक्षा देते थे जो उनके व्यक्तित्व विकास में सहायक होता था।
योग के चमत्कार भी कम नहीं है जहां बीमारियों में दवाइयों का लाभ मिलना बंद हो जाता है वहां योग से काफी हद तक इन बीमारियों से लड़ा जा सकता है। कभी कभी तो चमत्कारिक रूप से बीमारियों को ठीक होते भी देखा गया है। आजकल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में कुछ समय का योग हमें फिर एक नई ताजगी से भर देता है।
योग एक ऐसी विधा है जिसे जिसने भी अपनाया कुछ समय में उसकी तन और मन की शक्ति में इतनी वृद्धि हो जाती है कि उसके लिए कुछ भी पाना असंभव नहीं रह जाता। योग से बुद्धि की भी वृद्धि होती है इसलिए इसे विद्यालयों में भी अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए हालांकि कुछ स्तर पर तो इसे किया जाने लगा है मगर अभी उसमें और सुधार किया जाना चाहिए। योग को हमें मिलकर प्रचारित करने की कोशिश करना चाहिए। हमें यह प्रतिज्ञा लेना चाहिए कि योग हम खुद भी सीखें और दूसरों को भी सिखाएं और अपने भारत को एक स्वस्थ भारत बनाएं।
Dr Shalini Saxena

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