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यूँ ही अचानक कहीं कुछ नहीं घटता

कविता रावत

53 अध्याय
1 लोगों ने खरीदा
23 पाठक
13 फरवरी 2022 को पूर्ण की गई
ISBN : 978-81-956246-2-1
ये पुस्तक यहां भी उपलब्ध है Amazon Flipkart

लोकोक्तियों पर आधारित मेरी पहली 'लोक उक्ति में कविता' संग्रह के उपरान्त यह मेरा दूसरा काव्य संग्रह है। इस संग्रह में मैंने बिना किसी भाषाई जादूगरी और उच्चकोटि की साहित्यिक कलाबाजी के स्थान पर दैनिक जीवन की आम बोलचाल की भाषा-शैली को प्राथमिकता दी है। संग्रह में कई विषय व विधा की कविताएं संग्रहित हैं। संग्रह में एक ओर जहाँ आपको कुछ कविताओं में आज के सामाजिक, राजनैतिक परिदृष्य में अपने हक के लिए आवाज उठाने की गूँज सुनाई देगी, वहीँ दूसरी ओर कुछ विशिष्ट प्रतिमान लिए, कुछ प्रेम और कुछ देश-प्रेम की कविताओं के साथ कुछ पारिवारिक स्नेह बंधन के प्रतिरूप स्वरूप खास कविताएं भी.पढ़ने को मिलेंगी। संग्रह में एकरसता का आभास न हो इसलिए मैंने इसमें हर स्वाद की कविताओं को परोसा है। निष्कर्ष रूप से यह पुस्‍तक आम आदमी और अपने सुख-दुःख, संवेदनाओं व सामाजिक विषमताओं के बीच मन में उमड़ी गहन संवेदना और उससे दिल में उमड़ते-घुमड़ते खट्टे-मीठे अनुभवों व विचारों का संग्रह है, जिसे अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक नित्य नैमित कर्म समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस तक पहुंचाने का यह मेरा एक प्रयास है।  

yu hi achanak kahin kuchh nahin ghatta

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कविता रावत का कविता संग्रह - यूँ ही अचानक कुछ नहीं घटता - कई मामलों में विशिष्ट कही जा सकती है. संग्रह की कविताएँ वैसे तो बिना किसी भाषाई जादूगरी और उच्चकोटि की साहित्यिक कलाबाजी रहित, बेहद आसान, रोजमर्रा की बोलचाल वाली शैली में लिखी गई हैं जो ठेठ साहित्यिक दृष्टि वालों की आलोचनात्मक दृष्टि को कुछ खटक सकती हैं, मगर इनमें नित्य जीवन का सत्य-कथ्य इतना अधिक अंतर्निर्मित है कि आप बहुत सी कविताओं में अपनी स्वयं की जी हुई बातें बिंधी हुई पाते हैं, और इन कविताओं से अपने आप को अनायास ही जोड़ पाते हैं. एक उदाहरण - मैं और मेरा कंप्यूटर कभी कभी मेरे कंप्यूटर की सांसें भी हो जाती हैं मद्धम और वह भी बोझिल कदमों को आगे बढ़ाने में असमर्थ हो जाता है मेरी तरह और फिर चिढ़ाता है मुझे जैसे कोई छोटा बच्चा उलझन में देख किसी बड़े को मासूमियत से मुस्कुराता है चुपचाप ! कभी यह मुझे डील डौल से चुस्त -दुरुस्त उस बैल के तरह दिखने लगता है जो बार-बार जोतते ही बैठ जाता है अकड़कर फिर चाहे कितना ही कोंचो पुचकारो टस से मस नहीं होता! …. यदि आप इन पंक्तियों को पढ़ पा रहे हैं तो निश्चित रूप से आप भी कंप्यूटिंग उपकरणों का उपयोग कर रहे होंगे. कभी इन उपकरणों ने अपनी क्षमताओं से आपको रिझाया होगा, अपने कार्यों से आपको खुश किया होगा, और कभी कहीं अटक-फटक कर - हैंग-क्रैश होकर या आपको कहीं मेन्यू में अटका-उलझा कर परेशान भी किया होगा. कविता रावत ने कितनी खूबसूरती से इस अनुभव को बहुत ही सरल शब्दों में बयान किया है. संग्रह में आधा सैकड़ा से भी अधिक विविध विषय व विधा की कविताएं संग्रहित हैं. कुछ के शीर्षक से ही आपको अंदाजा हो सकता है कि किस बारे में बात की जा रही होगी, अलबत्ता अंदाजे बयाँ जुदा हो सकता है - गूगल बाबा हम भोपाली मेरी बहना जाएगी स्कूल प्यार का ककहरा गांव छोड़ शहर को धावे होली के गीत गाओ री …आदि. ऐसा नहीं है कि संग्रह में, जैसा कि ऊपर शीर्षकों में वर्णित है, रोजमर्रा जीवन के सहज सरल विषयों पर कविताई की भरमार है. बल्कि बहुत सी सूफ़ियाई अंदाज की बातें भी हैं. जैसे कि इन शीर्षकों से दर्शित हैं - जिंदगी रहती कहां है क्या रखा है जागने में जब कोई मुझसे पूछता है लगता पतझड़ सा यह जीवन जग में कैसा है यह संताप …आदि. ऐसी ही एक ग़ज़ल, जिसका शीर्षक है - चुप मत रह एक लप्पड़ मार के तो देख - की एक पंक्ति है - बहुत हुआ गिड़गिड़ाना हाथ-पैर जोड़ना चुप मत रह एक लप्पड़ मार के तो देख. जो आज के सामाजिक, राजनैतिक परिदृष्य में इस आवश्यकता को दर्शित करता है कि व्यक्ति को अब अपने हक के लिए आवाज उठानी ही होगी. संग्रह में कुछ विशिष्ट प्रतिमान लिए प्रेम कविताएँ भी हैं, कुछ बाल-कविताएँ-सी भी हैं, देश-प्रेम भी है, तो पारिवारिक स्नेह बंधन को जांचते परखते स्त्रैण लेखन का प्रतिरूप स्वरूप खास कविताएं भी. यथा - कहीं एक सूने कोने में भरे-पूरे परिवार के बावजूद किसी की खुशियाँ बेवसी, बेचारगी में सिमटी देख दिल को पहुँचती है गहरी ठेस सोचती हूं क्यों अपने ही घर में कोई बनकर तानाशाह चलाता हुक्म सबको नचाता है अपने इशारों पर हांकता है निरीह प्राणियों की तरह डराता-धमकाता है दुश्मन समझकर केवल अपनी ख़ुशी चाहता है क्यों नहीं देख पाता वह परिवार में अपनी ख़ुशी! माना कि स्वतंत्र है अपनी जिंदगी जीने के लिए खा-पीकर, देर-सबेर घर लौटने के लिए … संग्रह में हर स्वाद की कविताएँ मौजूद हैं जिससे एकरसता का आभास नहीं होता, और संग्रह कामयाब और पठनीय बन पड़ा है. जहाँ आज चहुँओर घोर अपठनीय कविताओं की भरमार है, वहाँ, कविता रावत एक दिलचस्प, पठनीय और सफल कविता संग्रह प्रस्तुत करने में सफल रही हैं. रवि रतलामी https://raviratlami.blogspot.com/2021/12/blog-post.html


बहुत खूब

पुस्तक के भाग

1

यूँ ही अचानक कहीं कुछ नहीं घटता

1 दिसम्बर 2021
13
6
5

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d3c9442f7ed561c88

2

सबको नाच नचाता पैसा

1 दिसम्बर 2021
10
5
5

सबको नाच नचाता पैसा  नाते रिश्ते सब हैं पीछे सबसे आगे है ये पैसा खूब हंसाता, खूब रूलाता सबको नाच नचाता पैसा अपने इससे दूर हो जाते दूजे इसके पास आ जाते दूरपास का खेल ये कैसा सबको नाच नचाता

3

रखना इनका पूरा ध्यान

1 दिसम्बर 2021
6
4
4

<p><br></p> <p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d3c94

4

सब चलता रहता है

1 दिसम्बर 2021
6
4
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d3c9442f7ed561c88

5

मजदूर : सबके करीब सबसे दूर

2 दिसम्बर 2021
5
2
3

<figure><img height="auto" src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d3c9442f7ed561c

6

निष्ठुर सर्द हवा

2 दिसम्बर 2021
6
4
4

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d3c9442f7ed561c88

7

खूंटे से बंधे प्राणी

2 दिसम्बर 2021
4
3
3

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d3c9442f7ed561c88

8

अब मैं वह दिल की धड़कन कहाँ से लाऊंगा

2 दिसम्बर 2021
7
3
4

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d3c9442f7ed561c88

9

कुछ ऐसा हो नूतनवर्षाभिनंदन

7 दिसम्बर 2021
5
2
4

<p>आपस में कोई बैर भाव न रहे</p> <p>न रहे कोई जात-पात का बंधन</p> <p>हर घर आँगन में बनी रहे खुशहाली<

10

वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती

7 दिसम्बर 2021
5
2
4

<p>जिंदगी में हमारी अगर दुशवारियाँ नहीं होती</p> <p>हमारे हौसलों पर लोगों को हैरानियाँ नहीं होती</p>

11

एक लप्पड़ मार के तो देख

7 दिसम्बर 2021
6
3
5

<p>हर मुश्किल राह आसान हो जाएगी तेरी</p> <p>धीरज रख आगे कदम बढ़ा के तो देख</p> <p><br></p> <p>ब

12

आओ मिलकर दीप जलाएं

9 दिसम्बर 2021
5
2
3

<p>आओ मिलकर दीप जलाएं</p> <p>अँधेरा धरा से दूर भगाएं</p> <p>रह न जाय अँधेरा कहीं घर का कोई सूना कोना

13

अबकी बार राखी में जरुर घर आना

9 दिसम्बर 2021
2
2
2

<p>राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना</p> <p>अबकी बार राखी में जरुर घर आना</p> <p>न चाहे धन-दौलत, न

14

भाई-बहिन का प्यारा बंधन रक्षाबंधन

9 दिसम्बर 2021
2
2
2

<p>रिमझिम सावनी फुहार-संग</p> <p>पावन पर्व रक्षाबंधन आया है</p> <p>घर-संसार खोई बहिना को</p> <p>मायक

15

गूगल बाबा

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>हम सबके प्यारे गूगल बाबा</p> <p>सारे जग से न्यारे गूगल बाबा</p> <p><br></p> <p>सबको राह दिखाते गू

16

हम भोपाली

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>हम कहलाते हैं भोपाली</p> <p>मिनीबस की है कुछ बात निराली</p> <p>हम कुछ भी बकें इधर-उधर</p> <p>हर ब

17

कविता तेरे प्यार में ....

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>गया दिल अपना पास तेरे जिस दिन तूने मुझे अपना माना है</p> <p>आया दिल तेरा पास अपने जिस दिन मैंने प

18

मेरी बहिना जाएगी स्कूल

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>माँ जी देखो बाबा देखो </p> <p>बहिना मेरी रट लगाती है।</p> <p>'मैं भी स्कूल चलूँगी भैय्या'</p

19

होली के गीत गाओ री

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>सखि! घर आयो कान्हा मेरे, खुशी से होली मनाओ री।</p> <p>झूमती हूँ खुशी के मारे, तुम संग-संग मेरे झू

20

प्यार का ककहरा

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>थोड़ी सी बात हुई</p> <p>चंद मुलाकात हुई</p> <p>वे अपना मान बैठे</p> <p>जाने क्या बात हुई</p> <p>द

21

मैं और मेरा कंप्यूटर

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>कभी-कभी </p> <p>मेरे कंप्यूटर की</p> <p>सांसें भी हो जाती हैं मद्धम</p> <p>और वह भी बोझिल कद

22

घर सारा बीमार है

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>एक बार आकर देख जा बेटे</p> <p>घर को तेरा इन्तजार है</p> <p>घर सारा बीमार है.</p> <p><br></p> <p>ब

23

सदियों से फलता-फूलता कारोबार : भ्रष्टाचार

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>भ्रष्टाचार!</p> <p>तेरे रूप हजार</p> <p>सदियों से फलता-फूलता कारोबार</p> <p>देख तेरा राजसी ठाट-बा

24

संघर्ष की सुखद अनुभूति

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

आशा और निराशा के बीच झूलते-डूबते-उतराते घोर निराशा के क्षण में भी अविरल भाव से लक्ष्य प्राप्ति हेतु आशावान बने रहना बहुत मुश्किल पर नामुमकिन नहीं  होता है इसका अहसास सफलता की सीढ़ी-दर-सीढ़ी चढ़न

25

क्या रखा है जागने में

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>जो जागत है वो खोवत है</p> <p>जो सोवत है वो पावत है</p> <p><br></p> <p>सोओ-सोओ सोते सोते ही</p> <p

26

हर तरफ शोर आई बसंत बहार

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>दर्द कितना छुपा हर जिगर में</p> <p>बताती हैं किसी की खामोशियाँ</p> <p>हर तरफ शोर आई बसंत बहार</p>

27

वह रहने लगा है दूर परदेश कहीं

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>सुन्दर मनमोहक गाँव में बसा</p> <p> &nb

28

इससे पहले कि कोई

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>इससे पहले कि कोई</p> <p>आप, तुम से तू पर आता हुआ</p> <p>दिल बहलाने की चीज़ समझ बैठे</p> <p><strong

29

तुमको सोचने के बाद

9 दिसम्बर 2021
2
1
1

<p>तुमको</p> <p>सोचने के बाद</p> <p>जाने क्यों</p> <p>तुमसे बात करने की प्रबल इच्छा</p> <p>जाग उठती

30

गाँव छोड़ शहर को धावै

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>गाँव छोड़ शहर को धावै</p> <p>करने अपने सपने साकार</p> <p>खो चुकें हैं भीड़-भाड़ में</p> <p>आकर बन

31

अपनेपन की भूल

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>जिन्हें हम अपना समझते हैं</p> <p>गर आँखों में उनकी झाँककर देखते हैं</p> <p>तो दिखता क्यों नहीं हर

32

कौन हो तुम

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>कौन हो तुम!</p> <p>पहले पहल प्यार करने वाली</p> <p>शीत लहर सी</p> <p>सप्तरंगी सपनों का ताना-बाना

33

जिंदगी रहती कहाँ है

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>अपने वक्त पर साथ देते नहीं</p> <p>यह कहते हुए हम थकते कहाँ है</p> <p>ये अपने होते हैं कौन?</p> <p

34

जब कोई मुझसे पूछता है

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>जब कोई मुझसे पूछता है.......</p> <p>'कैसे हो?'</p> <p>तो होंठों पर ' उधार की हंसी'</p> <p>लानी ही

35

वो वसंत की चितचोर डाली

9 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d3c9442f7ed561c88

36

कहीं एक सूने कोने में

9 दिसम्बर 2021
3
1
3

<p>भरे-पूरे परिवार के बावजूद</p> <p>किसी की खुशियाँ</p> <p>बेवसी, बेचारगी में सिमटी देख</p> <p>दिल क

37

जो गुजरा उसका भला पछताना क्या?

9 दिसम्बर 2021
2
2
2

मत भरो शूलों से दामन अपना जिंदगी की बगिया में फूल भी खिलते हैं    बाजी हारते-हारते जो जीत जाय वे बड़े खुशनसीब वाले रहते हैं ! कर्त्तव्य की जंजीरों से जकड़ी मैं भला तुम्हें क्या दे सकती हूँ अध

38

हरपल तेरी चाहत बनी रहूँ

9 दिसम्बर 2021
3
1
3

<p>जब भी तुम्हारा ख्याल आता है</p> <p>दिल में मीठा सा दर्द उठता है</p> <p>और तुम उतरने लगते हो दिल म

39

तनिक सी आहट

11 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>तनिक सी आहट होती</p> <p>चौंक उठता आतुर मन</p> <p>जैसे आ गए वे</p> <p>जिसका रहता है</p> <p>दिल को

40

कड़ाके की घूप में

11 दिसम्बर 2021
3
1
2

<p>मैंने देखा है अक्सर</p> <p>कच्ची कलियों को चटकते हुए</p> <p>कड़ाके की घूप में</p> <p>कुछ कलियों क

41

शाम ढले तेरी याद का आना

11 दिसम्बर 2021
3
1
2

<p>शाम ढले तेरी याद का आना</p> <p>आकर फिर दूर न जाना.</p> <p><br></p> <p>अक्सर याद आती है तेरी प्यार

42

फिर वही बात हर किसी ने छेड़ी है

11 दिसम्बर 2021
2
2
2

<p>अक्सर एकाकीपन ही अच्छा लगता</p> <p>अपनेपन से भरा साथ मिले किसी का</p> <p>जैसे यह दिखता कोई सुन्दर

43

अहसास की पाती

11 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>तू नहीं है पास</p> <p>कैसे बताऊँ तुझे</p> <p>मन है बहुत उदास</p> <p>बिखरा-बिखरा सा यह घर लगता</p>

44

नहीं कोई 'रिसते घाव' को सहलाता है

11 दिसम्बर 2021
3
1
2

<p>पथरीली, संकरी राह में भटक रही ये जिंदगी</p> <p>ओझल मंजिल लगता कदम-कदम पर फेरा है</p> <p>जब- जब भी

45

लगता पतझड़ सा यह जीवन

11 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>आम्रकुन्जों के झुरमुट से</p> <p>बह रही मंद-मंद पवन</p> <p>पर उदास मन बैठी मैं</p> <p>दिखता हरतरफ

46

भ्रष्टाचार एक कल्पतरु है

11 दिसम्बर 2021
3
1
2

<p>सुना होगा आपने कभी एक कल्पतरु हुआ करता था</p> <p>जिसके तले बैठ मानव इच्छित फल को पाता था</p> <p>इ

47

धिक्कार है उनकी ऐसी उदारता

11 दिसम्बर 2021
3
1
2

<p>मन को पहुँचा कर आघात</p> <p>वे अक्सर पूछ लेते हैं हाल हमारा</p> <p>'कैसे हो'</p> <p>मृदुल कंठ से<

48

जरुरी तो नहीं

11 दिसम्बर 2021
4
1
2

देख दिल दहलने वाला मंजर हर किसी का दिल दहल जाय जरुरी तो नहीं देखकर सुन्दर, मनोरम दृश्य  सबके मन को सुकूँ पहुंचाये   जरुरी तो नहीं बर्फ सा पिघलता दिल हो    सबके लिए पिघल जाय जरुरी तो नहीं लौह

49

असहाय वेदना

11 दिसम्बर 2021
4
2
2

<p>वो पास खड़ी थी मेरे</p> <p>दूर कहीं की रहने वाली,</p> <p>दिखती थी वो मुझको ऐसी</p> <p>ज्यों मूक ख

50

इंसानियत भूल जाते जहाँ

11 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>तीज त्यौहार का शुभ अवसर</p> <p>मंदिर में बारंबार बजती घंटियाँ</p> <p>फल-फूलों से लकझक सजे देवी-दे

51

लाख बहाने पास हमारे

11 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>लाख बहाने पास हमारे</p> <p>सच भूल, झूठ का फैला हर तरफ़ रोग,</p> <p>जितने रंग न बदलता गिरगिट</p> <

52

मतलबी दुनिया में एक दिन सबका आता है

11 दिसम्बर 2021
2
1
2

<p>न लालच, गुस्सा न शिकायत </p> <p>एक समभाव वाला जीव वह</p> <p>भारी मेहनत करने के बाद भी</p> <p

53

जग में कैसा है यह संताप

13 फरवरी 2022
2
2
0

कोई भूख से मरता,        तो कोई चिन्ताओं से है घिरा, किसी पर दु:ख का सागर        तो किसी पर मुसीबतों का पहाड़ गिरा। कहीं बजने लगती हैं शहनाइयाँ        तो कहीं जल उठता है दु:ख का चिराग, कहीं खुशी

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