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चमकौर का युद्ध

17 अक्टूबर 2015

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चमकौर का युद्ध- जहां 10 लाख मुग़ल सैनिकों पर भारी पड़े थे 40 सिक्ख 22 दिसंबर सन्‌ 1704 को सिरसा नदी के किनारे चमकौर नामक जगह पर सिक्खों और मुग़लों के बीच एक ऐतिहासिक युद्ध लड़ा गया जो इतिहास में "चमकौर का युद्ध" नाम से प्रसिद्ध है। इस युद्ध में सिक्खों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी के नेतृत्व में 40 सिक्खों का सामना वजीर खान के नेतृत्व वाले 10 लाख मुग़ल सैनिकों से हुआ था। वजीर खान किसी भी सूरत में गुरु गोविंद सिंह जी को ज़िंदा या मुर्दा पकड़ना चाहता था क्योंकि औरंगजेब की लाख कोशिशों के बावजूद गुरु गोविंद सिंह मुग़लों की अधीनता स्वीकार नहीं कर रहे थे। लेकिन गुरु गोविंद सिंह के दो बेटों सहित 40 सिक्खों ने गुरूजी के आशीर्वाद और अपनी वीरता से वजीर खान को अपने मंसूबो में कामयाब नहीं होने दिया और 10 लाख मुग़ल सैनिक भी गुरु गोविंद सिंह जी को नहीं पकड़ पाए। यह युद्ध इतिहास में सिक्खों की वीरता और उनकी अपने धर्म के प्रति आस्था के लिए जाना जाता है । गुरु गोविंद सिंह ने इस युद्ध का वर्णन "जफरनामा" में करते हुए लिखा है- " चिड़ियों से मै बाज लडाऊ गीदड़ों को मैं शेर बनाऊ. सवा लाख से एक लडाऊ तभी गोबिंद सिंह नाम कहउँ,"
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नीरजा जी

16 अक्टूबर 2015
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पुरानी बात है, कई साल पहले, जी हाँ 1963 के सितम्बर महीने की सातवीं तारिख थी जब एक ब्राह्मण परिवार में नीरजा का जन्म हुआ | चंडीगढ़ के ही स्कूल में पढाई की इस लड़की ने और वहीँ के कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन भी पूरा किया | बाईस साल की उम्र में उसकी शादी हुई और किसी खाड़ी देश में अपने पति के साथ वो घर से निकली

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श्रीधर : कमी को बनाया अपना संबल

16 अक्टूबर 2015
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श्रीधर : कमी को बनाया अपना संबलश्रीधर नागप्पा मालागी का एक हाथ एक्सीडेंट के बाद काटना पड़ा। ये घटना है 2006 की। तब उनकी उम्र मात्र छह साल थी। श्रीधर ईर के इस अन्याय से न घबराये न डरे बल्कि इसमें भी कोई भलाई होगी, ये सोचकर अगला कदम बढ़ाने की सोचते। उन्होंने शिक्षा में अव्वल आने का बीड़ा उठाया। लोगों

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गोविन्द जैस्वाल

16 अक्टूबर 2015
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ये कहानी है गोविन्द जैस्वाल की , गोविन्द के पिता एक रिक्शा -चालक थे , बनारस की तंग गलियों में , एक 12 by 8 के किराए के कमरे में रहने वाला गोविन्द का परिवार बड़ी मुश्किल से अपना गुजरा कर पाता था . ऊपर से ये कमरा ऐसी जगह था जहाँ शोर -गुल की कोई कमी नहीं थी

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चमकौर का युद्ध

17 अक्टूबर 2015
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चमकौर का युद्ध- जहां 10 लाख मुग़ल सैनिकों पर भारी पड़े थे 40 सिक्ख22 दिसंबर सन्‌ 1704 को सिरसा नदी के किनारे चमकौर नामक जगह पर सिक्खों और मुग़लों के बीच एक ऐतिहासिक युद्ध लड़ा गया जो इतिहास में "चमकौर का युद्ध" नाम से प्रसिद्ध है। इस युद्ध में सिक्खों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी के नेतृत्व में 40 सिक्ख

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महर्षि भारद्धाज

29 दिसम्बर 2015
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2005 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जब इलाहाबाद आये तो महर्षि भारद्धाज आश्रम देखने की इच्छा उन्होंने प्रगट की और उन्होंने बताया कि महर्षि भारद्धाज ने सर्वप्रथम विमान शास्त्र की रचना की थी। महाकुंभ के अवसर पर देश-देशांतर के सभी विद्धान प्रयाग आते थे और इसी भारद्धाज आश्रम में महीने दो महीने रह

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खूंखार चेतक घोडा और महाराणा प्रताप -- अनालिसिस

9 मई 2016
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318 किलो वजन उठाकर चेतक दुनिया के सबसे फास्ट दौडने वाला और सबसे लंबी छलांग लगानेवाला घोडा था ! माना जाता है कि महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था। उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था। महाराणा प्रत

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पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी

25 सितम्बर 2016
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किसी ने सच ही कहा है कि कुछ लोग सिर्फ समाज बदलने के लिए जन्म लेते हैं और समाज का भला करते हुए ही खुशी से मौत को गले लगा लेते हैं. उन्हीं में से एक हैं दीनदयाल उपाध्याय जिन्होंने अपनी पूरी जिन्दगी समाज के लोगों को ही समर्पित कर दी। आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की 100वी जय

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